देश की आजादी में मुस्लिमों के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता- फारुख अब्दुल्ला

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि शहरों के नाम बदलना भारत की बहुलवादी छवि को परिवर्तित करने का प्रयास है तथा यह देशभर में हुए कम विकास से लोगों का ध्यान हटाने का सोची समझी कोशिश है।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘भारत संस्कृतियों का मिश्रण है और मुसलमानों के योगदान को कम नहीं किया जा सकता। भारत की सांस्कृतिक थाती में उनका प्रत्यक्ष योगदान है चाहे वह भाषा हो, शिल्प, भोजन अथवा अन्य कला रूपों की बात हो।

उन्होंने आरोप लगाया,‘ऐसी कोशिश बीजेपी नीत राज्य सरकारों के वैरभाव को ही प्रकट करते हैं। इनमें वर्तमान की उत्तर प्रदेश सरकार का अकादमिक और ऐतिहासिक तथ्यों से विद्वेष शामिल है।

‘भारत ऐतिहासिक रूप से विभिन्न संस्कृतियों का मिलन बिंदु’
श्रीनगर से लोकसभा सांसद ने कहा कि भारत ऐतिहासिक रूप से विभिन्न संस्कृतियों का मिलन बिंदु है और इसकी बहुल संस्कृति के दर्शन विभिन्न नगरों के नामों में प्रतिबिम्बित होते हैं।

उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि मुसलमानों ने हमारे देश के बहुलवादी मूल्यों को ही सशक्त बनाया है। देश की स्वतंत्रता में मुसलमानों का योगदान अनदेखा नहीं किया जा सकता। फखरूद्दीन अली अहमद, मौलाना आजाद, जाकिर हुसैन और एपीजे अब्दुल कलाम जैसे कई लोगों ने भारत के विकास में अत्यधिक योगदान दिया है।