देश की जनता का नरेंद्र मोदी से नाराज होने की कई वजह

देश में फिलहाल 2019 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है ! सभी राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए बेहतर भारत का निर्माण करने के एवं लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपना अपना घोषणा पत्र में वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता जाहिर कर रही है!

सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने घोषणापत्र में देश की समस्याओं पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है ! इस चुनावी पर्व के अवसर पर सभी राजनीतिक संगठन लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अनेक लोक लुभावने वादे करती है! अब देखना यह है कि देश की जनता किस राजनीतिक पार्टी पर विश्वसनीयता जाहिर करते है!

मतदान करने से पहले देश की जनता के मस्तिष्क में 2014 के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्र को भी ध्यान में रखेगी ! आमतौर पर लोगों से बातचीत करने के दौरान यह पाया गया है कि देश के लोग प्रधानमंत्री से नाराज हैं और इस नाराजगी की कई वजह जाहिर की है ! 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार को मुख्य हथियार बनाते हुए सत्ताधारी पार्टियों पर निशाना साधा था!

अपराधियों को सलाखों तक पहुंचाने एवं भ्रष्टाचार को भारत से उखाड़ फेंकने के वादे हुए थे ! किंतु 5 साल के कार्यकाल में नजर डाले तो सामने आया ललित मोदी ने 5 हजार करोड़ रूपये, विजय माल्या पर 9 हजार करोड़ रूपये , मेहुल चोक्सी पर 11600 करोड़ रूपये एवं नीरव मोदी 11 हजार करोड़ रूपये लूटकर विदेश भागने पर प्रधानमंत्री की चौकीदारी पर अनेक सवाल उठने लग गए हैं!

बढ़ते हुए पेट्रोल एवं डीजल की महंगाई ने अर्थव्यवस्था की तमाम वस्तुओं को प्रभावित किया है ज़िससे गरीब एवं मध्यम वर्ग नाराज है ! कालेधन एवं आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के नाम पर लागू की गई नोटबंदी के कारण लोगों के सामने आई समस्याओं एवं सैकड़ों लोगों की जान जाने से के कारण बहुत बड़ा वर्ग नाराज है!

नोटबंदी के कारण छिनता हुवा रोजगार, देश में बढ़ते हुए युवाओं की बेरोजगारी के कारण बढ़ता हुआ अपराध,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विदेशी मुद्राओं के सामने घुटने टेकता हुआ रूपया, देश के गरीब किसानों का कर्ज़ के अभाव में बढ़ती हुई आत्महत्याए एवं उद्योगपतियों के लिए लगातार बढ़ता हुआ कर्ज , पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए सात लाख से अधिक आदिवासियों को जमीन से बेदखल करना, सैनिकों की बंद पेंशन, सीमा सुरक्षा पर सरकार की कमजोर नीतियों के कारण देश के बढ़ते हुए शहीदों की संख्या, सैनिकों के राफेल विमान में 30000 करोड रुपए से अधिक घोटाला, सीमाओं पर बढ़ती हुई आतंकवादी गतिविधियां , देश की सरहदों पर सैनिकों की होने वाली गोपनीय सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करके दुश्मन देशों के आतंकवादियों को युद्ध के लिए ललकारना!

जिसके कारण देश की सीमा सुरक्षा पर देश के सैनिकों के शहीद होने की मात्रा में लगातार वृद्धि होना ! शहीद होने वाले सैनिकों के परिवारों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से वंचित रखना ! वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सेना के पास आयुध कारखानों से सप्लाई की कटौती करना , प्रधानमंत्री का विदेशी यात्राओं पर सात हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होना एवं घटता हुआ विदेशी निवेश, योजनाओं पर खर्च करने के बजाय उन को प्रचारित प्रसारित करने के लिए विज्ञापनों पर पर करोड़ों अरबों का खर्चा करना, सरकारी संस्थाओं का लगातार निजीकरण की तरफ बढ़ते हुए कदम उदाहरण के लिए देश के पांच एयरपोर्ट एवं रेलवे स्टेशन को उद्योगपतियों के हाथों गिरवी रखना, भारत की राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर को पूंजीपतियों की हाथ गिरवी रखना, बुलेट ट्रेन के दावों का खोखला निकलना, देश के प्रत्येक व्यक्तियों के खातों में 15 -15 लाख रुपए देने का दावा करना फिर बाद में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा वादों को जुमला घोषित करके देश की भावनाओं के साथ खेलकर ठेस पहुंचाना, देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा करना लेकिन योजना पर बजट आवंटित ना करना, आदर्श सांसद निधि के तहत गांव की विकास की घोषणा करना लेकिन बजट में ₹1 भी आवंटित ना करना, जन धन योजना के तहत देश के गरीब लोगों का खाता खोलकर निर्धारित सीमा में रुपए ना होने पर सर्विस चार्ज के नाम पर पैसा वसूलना, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर सरकार का सीधा हस्तक्षेप होना उदाहरण के लिए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा जैसे व्यक्तियों को फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिर से बहाल करना, सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाएं जो देश के लोगों को न्याय देती है उनका उनका अचानक सरकार की रणनीतियों से परेशान होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश की जनता से न्याय की अपील करना!

प्रधानमंत्री ने मुकेश अंबानी से दोस्ती निभाने के चक्कर में जिओ कंपनी को प्रोत्साहन देना एवं बीएसएनल कंपनी का लगातार सरकारी सुविधाओं से वंचित होने के कारण आर्थिक संकट से जूझना जिसके कारण 54 हजार बीएसएनएल के कर्मचारियों के रोजगार खतरे होने की वजह से लोग नाराज हैं ! अम्बानी, अडानी, रामदेव एवं जयशाह इत्यादि गिने-चुने उद्योगपतियों की आमदनी में अचानक हजार गुना वृद्धि होने से प्रधानमंत्री की चौकीदारी पर अनेक सवाल उठने लगे हैं!

प्रधानमंत्री पर बार-बार ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगे हैं ! कई बार विपक्ष द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं ! चुनाव आयोग ने भले ही कोई कार्रवाई नहीं की हो लेकिन देश की जनता इस बात को भलीभांति समझती है ! देश के लोग अपने गुस्से को जाहिर करने का समय सिर्फ मतदान के अवसर को ही समझते हैं और वह उसी समय अपना निर्णय लेंगे किसका समर्थन करना है!

देश के लोग इसलिए भी नाराज हैं जिस तरह के सपने पूर्व लोकसभा चुनावों में दिखाए गए थे उस तरह का कार्यक्रम जमीन के धरातल पर हुआ नहीं बल्कि लगातार देश अनेक समस्याओं की जटिल गुत्थियों में उलझता चला गया ! टीवी चैनलों एवं विज्ञापनों में भले ही नरेंद्र मोदी ने जगह बनायी हो लेकिन देश के लोगों के दिलों में वह जगह बनाने में असफल रहे माने जा रहे हैं!