दोनों शहरों हैदराबाद और सिकंदराबाद में ईदुल अज़हा जोशो ख़रोश के साथ साथ इंतिहाई ख़ुशू और ख़ुज़ू के साथ मनाई गई। नमाज़ ईदुल अज़हा का सब से बड़ा इजतिमा ईदगाह मीर आलम पर देखा गया जहां लाखों अफ़राद ने नमाज़े ईदुल अज़हा अदा की। नमाज़ ईदुल अज़हा से क़ब्ल मौलाना मुहम्मद हस्साम उद्दीन सानी जाफ़र पाशा और डॉक्टर सैफुल्लाह शेखुल अदब जामिआ निज़ामीया ने फ़ज़ाइल ईदुल अज़हा के उनवान से ख़िताब किया।
बादअज़ां मौलाना हाफ़िज़ मुहम्मद रिज़वान कुरैशी की इमामत में नमाज़ ईदुल अज़हा अदा की गई। इसी तरह ईदगाह मादन्ना पेट, ईदगाह बालमराई, ईदगाह सिकंदराबाद, ईदगाह बलाली हाकी ग्राउंड मांसब टैंक, ईदगाह अंबर पेट के इलावा शहर की बड़ी मसाजिद और वसीअ और अरीज़ मैदानों में नमाज़ ईदुल अज़हा का ख़ुसूसी इंतेज़ाम किया गया था।
मौलाना मुहम्मद हस्साम उद्दीन सानी जाफ़र पाशा ने फ़ज़ाइल ईदुल अज़हा बयान करते हुए कहा कि क़ुर्बानी के फ़रीज़ा की अदाएगी तक़र्रुब इलाही का बाइस है। उन्हों ने उम्मतुल मुस्लिमीन को क़ुर्बानी की अदाएगी के साथ साथ जज़्बे क़ुर्बानी पैदा करने की तलक़ीन करते हुए कहा कि अल्लाह ताला की ख़ुशनुदी के हुसूल के लिए अल्लाह की राह में हर शय की क़ुर्बानी के लिए हमें तैयार रहना चाहीए।
उन्हों ने इस मौक़ा पर अपने ख़िताब के दौरान कहा कि ईदुल अज़हा इब्राहीम अलैहिस्सलाम की याद ताज़ा करने का ज़रीया है और इब्राहीम अलैहिस्सलाम के मुताबिक़ हमें ज़िंदगी गुज़ारने के लिए हमेशा तैयार रहने की ज़रूरत है।
मौलाना जाफ़र पाशा ने ईदैन के मौक़ा पर गुर्बा और मसाकीन का भी ख़ुसूसी ख़्याल रखने की तलक़ीन करते हुए कहा कि ईद की ख़ुशीयों में उन्हें शामिल करना भी ज़रूरी है चूँकि ये तालीमात आक़ाए नामदार हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाह अलैहि वालसल्लम की दी हुई हैं जिन पर अमल करना उम्मते मुस्लिमा का फ़रीज़ा है।