दोनों हाथों से महरूम बर्मी नौजवान मस्नूई(बनावटी) हाथ पा कर ख़ुश !

हैदराबाद 30 जुलाई : बर्मा में बुद्धिस्ट दहश्तगरदों की ज़ुलम-ओ-बरबरीयत का शिकार रोहंगयाई मुसलमान हैदराबादी मुसलमानों के जज़बा ख़ैर सगाली हमदर्दी , मुहब्बत-ओ-मुरव्वत और इंसानियत से काफ़ी मुतास्सिर हैं।

फ़िरक़ापरस्त बुद्धिस्टों के हाथों लुटे पिट ये बर्मी मुसलमान बारगाह रबुलइज़त में हाथ उठाए । शहरियाने हैदराबाद के लिये दुआएं कररहे हैं । बाला पूर में इन बर्मी पनाह गुज़ीनों का कैंप है जिस में एक हज़ार से ज़ाइद मर्द-ओ-ख़वातीन और बच्चे पनाह लिये हुए हैं।

एडीटर सियासत जनाब ज़ाहिद अली ख़ां ने माह रमज़ान उल-मुबारक में अपने इन मुसीबत ज़दा मुस्लिम भाईयों , बहनों और मासूम बच्चों की मदद के लिये कई इक़दामात किए हैं। और इस कार ख़ैर में सियासत को फ़ैज़ आम ट्रस्ट का भरपूर तआवुन-ओ-इश्तिराक हासिल है।

सियासत हमेशा मुसीबत ज़दा मुसलमानों की मदद के लिये पेश पेश रहा है । हाल ही में रोज़नामा सियासत में 26 साला बर्मी नौजवान नूर कमाल की दर्दनाक कहानी शाय हुई थी जिस में बताया गया था कि किस तरह ज़ालिम बुद्धिस्ट दहश्तगरदों ने बी ए के तालिब-ए-इल्म के दोनों हाथ काट दीए थे।

इस रिपोर्ट की इशाअत के साथ ही फ़लाही ख़िदमात में सरगर्म फ़ैज़ आम ट्रस्ट के ज़िम्मेदार भी हरकत में आगए और अल्हम्दुलिल्ला इस नौजवान को दो मस्नूई(बनावटी) हाथ लगा दीए गए हैं । हम ने देखा कि मस्नूई(बनावटी) हाथ लगाए जाने के बाद नूर कमाल ख़ुशी से फूले नहीं समा रहा था।

जैसे ही उसे मस्नूई(बनावटी) हाथ लगाए इस ने अपने इन हाथों को आसमां की जानिब उठाए बारगाह रबुलइज़त में शुक्र बजा लाया और फिर वहां मौजूद एडीटर सियासत जनाब ज़ाहिद अली ख़ां,मैनिजिंग एडीटर जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ां और फ़ैज़ आम ट्रस्ट के सेक्रेटरी-ओ-ट्रस्टी जनाब इफ़्तिख़ार हुसैन-ओ-दीगर मुसलमानों को सलाम किया।

मस्नूई(बनावटी) हाथ पाने के बाद नूर आलम की ख़ुशी को देख कर कई लोगों के आँखों में आँसू आगए ।वाज़ेह रहे कि नूर कमाल को बर्मा में बुद्धिस्ट दहश्तगरदों ने दीगर 6 मुस्लिम नौजवानों के साथ अग़वा करते हुए दोनों हाथ काट दीए थे।

नूर कमाल के मुताबिक़ दीगर 6 नौजवानों को तो क़तल करदिया गया लेकिन अल्लाह ने इसे ज़िंदा रखा । हैरत की बात ये है कि इस नौजवान को शदीद ज़ख़मी हालत में मुर्दा समझ कर सरकारी हॉस्पिटल के मुर्दा ख़ाना में पड़ी नाशों के ढेर में फेंक दिया गया था लेकिन अल्लाह के फ़ज़ल-ओ-करम से इस के दोस्त ऐन उस वक़्त पर मुर्दा ख़ाना पहूंचे जब नूर कमाल की सांस चल रही थी।

एक मुस्लिम डाक्टर की कोशिशों के नतीजा में उसे वार्ड में मुंतक़िल किया गया । इस तरह नूर कमाल मौत के मुँह में भी पहूंचकर ज़िंदगी की आग़ोश में वापिस आगया ।। (नुमइंदा खुसूसी)