अमेरिकी पादरी की गिरफ्तारी से एक बार फिर तुर्की और अमेरिका आमने-सामने है। अमेरिका ने तुर्की को धमकाते हुए आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है। जिसके जवाब में अब तुर्की राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने कहा कि अमेरिका मनोवैज्ञानिक युद्ध चला रहा है।
एर्दोगान ने एफ़-35 विमान के मुद्दे पर कहा कि ट्रम्प सरकार ने यदि एफ़-35 विमान पर किया अपना वादा नहीं निभाया तो वे अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का रुख़ करेंगे। उन्होने कहा कि सबको यह जान लेना चाहिए कि अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय नामक एक संस्था भी है पहले हम वहां जाएंगे। तुर्की के राष्ट्रपति का कहना था कि वैसे हमारे पास कुछ और विकल्प भी हैं।
अमरीकी पादरी कि गिरफ्तारी के मुद्दे पर दी जा रही प्र्तिबंधों कि धमकियों पर उन्होने कहा कि तुर्की के विरुद्ध प्रतिबंध लगाए जाएंगे लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि तुर्की कभी भी अपनी नीति से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि अमरीका को यह समझ लेना चाहिए कि एेसी स्थिति में उसे एक शक्तिशाली साथी से हाथ धोना पड़ सकता है।
एर्दोगान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पादरी के मामले में कोई भी सौदेबाज़ी नहीं की जाएगी। बता दें कि अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा था कि यदि गिरफ्तार किए गए अमेरिकी पादरी को तत्काल रिहा नहीं किया गया तो तुर्की पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
पेंस ने कहा कि तुर्की को अमेरिकी पादरी एंड्रयू ब्रॉनसन को तत्काल रिहा करना चाहिए अन्यथा कड़े परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले ट्वीट कर कहा कि तुर्की को ब्रॉनसन को तत्काल रिहा करना चाहिए। उन्होंने पादरी की गिरफ्तारी को पूरी तरह से शर्मनाक बताया है।
ध्यान रहे 50 वर्षीय पादरी को दो साल पहले जासूसी के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। यदि वह दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें 35 साल की सजा हो सकती है।