दोस्त की बीवी से जिस्मानी ताल्लुकात बनाने वाले नेवी अफसर पर कोर्ट मेहरबान!

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में नेवी को अपने उस ऑफिसर को हटाने से रोक दिया है जिसके अपने दोस्त की बीवी से ताल्लुकात थे। आमतौर पर फौज, नैवी या एयरफोर्स में शादी से इतर रिलेशन बनाने वाले आफीसर को नौकरी से निकाल दिया जाता है, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नरमी दिखाई।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगल के रोज़ अपने हुक्म में कहा कि चूंकि एक ऑफिसर के दूसरे ऑफिसर की बीवी से ताल्लुकात आपसी रज़ामंदी से बने थे और इस बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई थी, इसलिए इस ऑफिसर को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। नैवी के बोर्ड ऑफ इंक्वायरी ने अपने एक ऑफिसर को एक दूसरे ऑफिसर की गैर मुल्क की बीवी से अफेयर का खाती पाते हुए उसे टर्मिनेट कर दिया था।

बोर्ड ऑफ इंक्वायरी ने अपने फैसले में कहा था कि अखलाकी और मुल्क की सेक्युरिटी के मुताल्लिक बुनियादो पर उसको सर्विस से हटाया जाता है। बाद में इस ऑफिसर ने “आम्र्ड फोर्स ट्रिब्युनल” में फैसले के खिलाफ अपील की। ट्रिब्युनल ने इस आफीसर को मामूली जुर्माना लगाते हुए बहाल कर दिया। लेकिन मरकज़ी हुकूमत ने ट्रिब्युनल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।

सुप्रीम कोर्ट में मरकज़ी हुकूमत की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि नेवी एक disciplined institution है और उसके एक आफीसर के दूसरे आफीसर की बीवी से ताल्लुकात को सही नहीं माना जा सकता।

रोहतगी ने ये भी कहा कि खातून दूसरे मुल्क की है और इससे मुल्क की सेक्युरिटी पर असर पड सकता है। चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने सुनवाई के दौरान कहा, “दोनों के बीच जो सेक्स के मुताल्लिक मैसेजेस का भेजा गया और दिया गया वह दो बालिगों के बीच आपसी रजामंदी से था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हुकूमत की तरफ से ऑफिसर को बर्खास्त करने की अपील खारिज कर दी।