सीतामढ़ी कोलेक्ट्रेट में 17 साल के बाद अदालत का फैसला आया है। दो साबिक़ एमपी अनवारुल हक और नवल किशोर राय और भाजपा एमएलए रामनरेश यादव समेत 15 मुजरिमों को अदातल ने 10-10 साल की सजा सुनाई है।
अदालत में सुनवाई के दौरान भारी तादाद में लोग जुट गए। भीड़ को देखते हुए अदालत अहाते में सेक्युर्टी को लेकर भारी तादाद में पुलिस फोर्स तैनात किया गया था। कोर्ट अहाते में आने और जाने वाले तमाम लोगों की वीडियोग्राफी की जा रही थी। तमाम मुजरिमों के अहले खाना भी कोर्ट में मौजूद रहे। अहले खाना ने कहा कि कोर्ट के फैसले को लेकर हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। कोर्ट की तरफ से सजा सुनाए जाने के बाद तमाम मुजरिमों को सेक्युर्टी को लेकर मुजफ्फरपुर जेल भेज दिया गया है।
क्या है मामला
बाढ़ राहत की मांग को लेकर 11 अगस्त 1998 को जदयू व कम्युनिस्ट पार्टी ने मुश्तरका तौर से कलेक्ट्रेट में मुश्तईल मुजाहिरा किया था। लीडर और कारकुनान क्लक्ट्रेट अहाते में दाखिला कर गए थे। हालत को संगीन देख मौजूदा डीएम रामनंदन प्रसाद के हुक्म पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसके बाद बेकाबू भीड़ को पुर अमन करने के लिए लाठी चार्ज किया गया था। प्रसाद के हुक्म पर पुलिस ने आठ राउंड गोलियां चलाई थी। इसमें साबिक़ एमएलए रामचरित्र राय, डॉ अयूब, मोनिफ अंसारी, महंत मंडल व रामपरी देवी की मौके पर ही मौत हो गई थी। मामले में साबिक़ एमपी नवल किशोर राय, मो अनवारुल हक व राजद नेता मनोज कुमार समेत 73 को मुल्ज़िम बनाया गया था।