दो बदन एक जान

गली के नुक्कड पर मुश्किल से आठ दस लोग ख़ड़े ह़ैं, लेकिन जैसे ही मर्फा (अरबी बाजा) बजना शुरू हुआ, शादी के घर में से कई लोग बाहर निकल आये। अब्दुल्लाह, अल हबीब, अबूद और अकबर मर्फे के बाजों पर हल्के से हाथ फिरा रहे है।

दूसरी गली से दूल्हे का एक दोस्त दौड़ता हुआ आया और कांधे उचका उचका कर हवा में हाथ हिलाते हुए, तीन मार..तीन मार की रट लगानी शुरू कर दी। फिर क्या था दीवान खाने से कुछ और नौजवान निकल आये। ढोल, दफ, और पैनो बजाने वालों में हरकत आ गयी। तीन मार…ढोल और डफली के स्वर तेज़ हुए। दो नौजवान कुछ इस तरह से नाचने लगे कि आस पास के लोग भी जमा हो गये। नाचने वालों ने अपने पैरों को कमान बनाकर कमर कोछ टेढी कर ली। एक हाथ में दस्ती और दूसरे हाथ की एक उंगली भांगडा की तरह ऊपर उठी हुई। नाचने वाले तो दो ही हैं, लेकिन शोर मचाने वालों की तादाद बढ़ती गयी। कभी दो मार तो कभी तीन मार..इसी बीच कहीँ अढाई मार..की आवाज़ भी लगायी जाती, पता नहीं अढाई मार …समचमुच में कुछ हैं या फिर लोग चिढ़ाने के लिए ऐसा कह रहे हैं।

इस हंगामे से कुछ दूर दूध की दुकान पर खड़े लड़कों में एक लड़का अपने जोश को शराफत के दायरे में रखने की पूरी कोशिश कर रहा है। हालांकि उसके हाथ, पैर और कांधे उसकी इस कोशिश को नाकाम बनाने के लिए बेताब हैं। यह जाफर है। दोस्त जानते हैं कि मर्फे की धुन पर अगर मुहल्ले में सब से अच्छा कोई नाच सकता है तो वह जाफर ही है, लेकिन जाफर तबियत से कुछ शर्मीला भी है और उसने आजकल नाचना छ़ोड़ दिया है।

दूध की दुकान पर बैठे बबलू के कान पर भी मर्फे की आवाज़ ने जादू कर दिया। बबलू अशोक गौली का बेटा है, दो साल पहले ही उसने एक एक्सिडेंट में अपने दोनो पैर गंवा दिये हैं। लेकिन किसी तरह उसने अपने बीमार बाप का दूध का धंधा सभाल लिया है। रोज़ाना व्हील चेयर पर दुकान पहुंचता है और फिर शाम अपने नौकर की मदद से दुकान बंद कर घर चला जाता है। किसी ज़माने में जाफर और बबलू के बारे में कहा जाता था कि जब वो मर्फे की आव़ाज पर नाचते हैं तो फिर बाजा बजाने वालों को भी अपनी सुध नहीं रहती।

मर्फे की आवाज़ और नाचने वालों का शोर और तेज़ हुआ, दुकान पर बैठे बबलू के कांधे भी उचकने लगे। पता नहीं दुकान पर खड़े जाफर के दिलो दिमाग़ में क्या हलचल हुई कि उसने बबलू को अपने कांधे पर उठा लिया और मर्फे की तरफ द़ैड पड़ा। यह देखकर आस पर खड़े लोग भौचक्के रह गये। देखते देखते जाफर और बबलू का नाच देखने पूरा मोहल्ला जमा हो गया और सब एक अवाज़ में बोल पड़े ..दो बदन एक जान।