नई दिल्ली 27 फ़रवरी : राज्यसभा को आज एक अहम खबर फ़राहम करते हुए बताया गया कि आइन्दा दो सालों के अंदर देहाती इलाक़ों में पब्लिक सैक्टर बैंक्स ज़ाइद अज़ 60,000 ए टी एम मराकिज़ खोलने का मंसूबा रखते हैं । वकफ़ा-ए-सवालात के दौरान जवाब देते हुए मुमलिकती वज़ीर बराए मालियात नामो नारायण ने कहा कि देहाती इलाक़ों में ए टी एम मराकिज़ की बेहद क़िल्लत है
कोशिश की जा रही है कि वहां ज़्यादा से ज़्यादा ए टी एम मराकिज़ खोला जाएं । उन्होंने कहा कि आइन्दा दो सालों के दौरान कम-ओ-बेश 60,000 ए टी एम मराकिज़ खोलने का मंसूबा है । अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि मुल्क में 65 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स हैं जिन के ज़रिया 1,50,000 करोड़ रुपये की मुआमलात की जाती है ।
उन्होंने कहा कि आज ज़माना बहुत तरक़्क़ी करचुका है और असरी टैक्नालोजी ने इंसान के हर काम को आसान कर दिया है बिल्कुल इसीतरह एलोक्टरोनिक पेमंट भी महफ़ूज़ तरीन पेमंट में शुमार की जाती है जिस केलिए रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया भी वक़तन फ़वक़तन रहनुमायाना ख़ुतूत जारी करती रहती है ।
दूसरी तरफ़ ख़ुद हुकूमत और रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया इस बात केलिए कोशां हैं कि बैंक्स की तमाम मुआमलातों के मेयार को आलमी सतह के बराबर किया जा सके । ऐसी मुआमलतें ना सिर्फ़ कम ख़र्च बल्कि महफ़ूज़ तरीन भी हैं । अलावा अज़ीं अव्वाम को भी वक़तन फ़क़तन मुख़्तलिफ़ प्रैस रीलीज़ और आलामीयों के ज़रिया चौकन्ना किया जाता है कि वो अपने अकाउनट नंबर्स किसी पर ज़ाहिर ना करें और ना ही रक़ूमात की मुंतक़ली की जाली पेशकश पर कोई तवज्जो दें ।
उन्होंने मज़ीद कहा कि 2012-ए-के दौरान क्रेडिट / डेबिट कार्ड और इंटरनैट बैंकिंग के ज़रिया धोका दही के मुतअद्दिद मुआमलात सामने आए जिन में मजमूई तौर पर 5266.95 करोड़ रुपये की धोका दही की गई जबकि 2011-ए-में धोका दही के ज़रिया 3,672.19 करोड़ रुपये और 2010-एमें 4048.94 करोड़ रुपये की धोका दही हुई ।