पूरे ज़िले में फिर्कावाराना ताकतें जमकर बवाल मचा रहे थे, ऐसे में एक गांव (डबल) में भी तनाव बन गया था, कुछ सिरफिरे धमकियां दे रहे थे। इसी बीच गांव में चार अमनपसंद नौजवानो ने मुसलमानो की जान बचाने का अज़्म लिया और उन्होंने दो सौ मुसलमानो को गांव के आखिरी छोर पर पहुंचाकर उन्हें महफूज़ मुकाम पर भेजा। गांव चंदसीना में पनाह लिए डबल के मुसलमान इन चारों का एहसान कभी न भूलने की बात कह रहे हैं।
गांव चंदसीना के मदरसा शमशुल उलूम में ये पनाह लिए हुए हैं। वह गांव के चार हिंदू नौजवानो को फरिश्ता मानते हैं और उनका एहसान कभी न भूलने की बात कहते हैं। इस्लाम, मोहम्मद शोमीन, अनीस, नसीम, फलातून वगैरह आठ सितंबर को याद कर फफक फफक कर रो पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि डबल गांव में दो सौ मुसलमान रहते हैं। सभी गरीब व मजदूर हैं। आठ सितंबर की रात कुछ सिरफिरे लोगों ने धमकियां देनी शुरू कर दीं और वे मजबूर व गरीब अपने घरों में दुबक गए। लगा कि आज नहीं बच पाएंगे। ऐसे में सोनू त्यागी, अशोक त्यागी, जीवन त्यागी व नरेश त्यागी उनके बीच पहुंचे और उन्हें अपनी हिफाज़त में लेकर गांव के आखिरी छोर पर पहुंचाया। उन्होंने नदी पार कर गांव चंदसीना में पनाह ली। चारों उनके लिए फरिश्ते से कम नहीं हम इनका एहसान कभी नहीं भुला पाएंगे।
हफ्ते के दिन सोनू गांव चंदसीना में इन सभी से मिलने पहुंचा। उसका कहना है कि जब उन्हें एहसास हुआ कि कुछ अनासिर मुसलमानो को नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो उनका दिल कांप गया। इन लोगो ने ठान लिया कि वे गांव में खून खराबा नहीं होने देंगे। उन्होंने अपने साथियों को लेकर दिन ढलते ही तमाम मुसलमानो को चंदसीना पहुंचाया।
इन लोगो का कहना है कि मुसलमानो के बिना गांव में मन नहीं लग रहा और वह उनसे मिलने चंदसीना रोजाना जाते है।
—-बशुक्रिया: जागरण