दो सौ रुपया खर्च करके रेलवे ने मांगा 50 रुपया, सच मे देश बदल रहा है !

केन्द्र सरकार फिजूल खर्च बचाने के लिए सभी केन्द्रीय विभागों को हाईटेक और सभी सुविधाओं से लैस करना चाहती है तो वहीं दूसरी तरफ केन्द्रीय अधिकारी अपनी अज्ञानता से पूरे देश में अपना अपमान कराने पर तुले हैं ऐसे में रेल मंत्रालय कहां पीछे रहने वाला है। केन्द्र सरकार जहां दो साल की उपलब्धियां गिनाने के नाम पर हज़ारो करोड़ो रुपया पानी की तरह बहा रही है वहीं उसके अधिकारी 50 रुपए पाने लिए सरकारी खजाने से 200 रुपए खर्च करने में कोई गुरेज़ नहीं कर रहे और तो और इन अधिकारियों की कार्यशैली और कानूनी समझ भी इनकी पद और योग्यता पर सवालिया निशान इंगित करता है।

ऐसा ही मामला सामने आया है रेल मंत्रालय का जहां 50 रुपए हासिल करने के लिए लगभग सैकड़ो रुपए खर्च करके रेल अधिकारी अपना पीठ थपथपा रहे है। ताजा मामला है उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर दिलदार नगर थाना क्षेत्र के उसियां गांव के निवासी आरटीआई कार्यकर्ता एवं मेट्रोमत न्यूज़ के पत्रकार शम्स तबरेज़ हाशमी को आरटीआई का एक जवाब देने के लिए पूर्व मध्य रेल दानापुर मण्डल के वरीय मण्डल वाणिज्य प्रबंधक ने 50रुपए का अतिरिक्त शुल्क मांगा है और वो भी 22 रुपए खर्च करके। हुआ यूं कि शम्स तबरेज़ ने रेल मंत्रालय में ऑनलाईन आरटीआई फाईल करके हाजीपुर जोन के प्रत्येक स्टेशन का टिकट सेलिंग का ब्यौरा मांगा। हाजीपुर जोन सभी मण्डलों ने अपनी-अपनी टिकट सेलिंग रिपोर्ट शम्स को भेज दी लेकिन दानापुर मण्डल ने अपनी रिपोर्ट नहीं भेजी।

12 मई को लोक सूचना अधिकारी अभिताभ प्रभाकर ने शम्स तबरेज़ को पंजीकृत पत्र जो 28 मई को मिला उसमें बताया गया कि मांगी गई सूचना 25 पन्नों की है और आरटीआई एक्ट के नियमानुसार शुल्क 2 रुपए प्रति पेज के हिसाब से 50 रु जमा करना होगा। लोक सूचना अधिकारी ने 50 रुपया एफए एण्ड सीएओ ईसीआर हाजीपुर के नाम से भेजने को कहा है जबकि आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 7(6) के तहत एक के भीतर यदि लोक प्राधिकारी सूचना नहीं देता तो सूचना मुफ्त में दी जाएगी इसके विपरीत शम्स तबरेज को 5 माह तक सम्बन्धित सूचना नहीं मिली अतः सूचना चाहे एक रुपए का हो या एक हजार का, मुफ्त में मिलना चाहिए और कोई भी शुल्क केवल लेखाधिकारी के नाम देय होगा। शम्स तबरेज़ ने इसकी ऑनलाईन शिकायत 30 मई को रेल मंत्रालय भेज दिया है लेकिन दानापुर मण्डल ने 50रुपया मांग कर अपना मज़ाक अवश्य बना लिया है। बता दे कि रेल मंत्रालय ने शम्स तबरेज के आवेदन को 2 बार हाजीपुर भेजा फिर हाजीपुर ने दानापुर मण्डल और दानापुर मण्डल ने पत्र प्राप्ती की सूचना पत्र भेजकर शम्स तबरेज दिया और अंतिम पत्र भी दानापुर ने भेजा। कुल मिला कर रेलवे ने अबतक लगभग दौ सौ रुपए से अधिक खर्च चुकी है जबकि डाक के बजाए ईःमेल पर आसानी से सूचना भेजी जा सकती है।

शम्स तबरेज़ वही आरटीआई कार्यकर्ता है जिन्हें आरटीआई के जवाब में सीआरपीएफ के डीआईजी का एक विवादित पत्र मिला था जिसमें कहा गया था कि “आप मुस्लिम समुदाय से सम्बन्धित जो आतंकियों का धर्म है अत: सुरक्षा कारणों से सूचना नहीं दी जा सकती।” इस्लाम को आतंकियों का धर्म बताने का विवाद जब तूल पकड़ा तब डीआईजी ने इनके विरुद्ध सीआरपीएफ के पत्र से छेड़छाड़ करने के आरोप में 3 मार्च को गम्भीर धाराओं में इलाहाबाद के थरवई थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था हालांकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शम्स तबरेज की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखा है। शम्स तबरेज हाशमी ने रेलवे कार्यप्रणाली पर चुटकी लेते हुए कहा कि “50 रुपए हासिल करने के लिए सरकारी खजाने से दौ सौ रुपया खर्च करने घटना से यह साबित होता है कि सच में हमारा देश सच बदल रहा है”।