दौलते इस्लामीया को कौन शिकस्त देगा?

मग़रिबी सियासी रहनुमाओं ने ख़बरदार किया था कि सख़्तगीर इस्लामी तंज़ीम दौलते इस्लामीया के साथ जंग एक तवील मार्का होगा और वक़्त के साथ वाज़ेह होता जा रहा है कि उन की पेशगोई दरुस्त थी।

बर्तानवी सेक्रेट्री ख़ारिजा फ़्लिप हैमंड ने अब इस जंग का मुवाज़ना एक बहुत बड़ी जंग यानी फ़ाशिस्ट नाज़ी पार्टी के ख़िलाफ़ दूसरी जंगे अज़ीम से किया था। लंदन में एक तक़रीर में उन्हों ने हाज़िरीन को याद दिलाया कि 1940 में डनकर्क में बर्तानवी फ़ौज की वापसी से लेकर यूरोप में इत्तिहादियों की कामयाबी में पाँच साल लगे थे।

इस मिसाल का मक़सद ये है कि सब्र किया जाए। सुस्त रवी ही से सही, ये जंग जीती जा रही है? ज़मीनी हक़ीक़त तो ये है कि लड़ाई में वही ममालिक पेश पेश हैं जिन के इलाक़ों पर दौलते इस्लामीया ने क़ब्ज़ा कर रखा है।