मिस्र के सब से बड़े मज़हबी इदारा दारुल इफ़्ता ने इंटरनेट पर एक मुहिम शुरू की है जिस में कहा है कि इराक़ और शाम में बरसरे पैकार ग्रुप दौलते इस्लामी को इस नाम से ना पुकारा जाए बल्कि उस को इंतिहापसंद ग्रुप लिखा और बोला जाए।
एक अरब टी वी के मुताबिक़ मिस्र के मुफ़्ती-ए-आज़म शौकी आलम ने मातहत दारुल इफ़्ता ने ग़ैर मुल्की मीडिया को तजवीज़ पेश की है कि वो इराक़ और शाम में अलक़ायदा से वाबस्ता ग्रुप को दौलते इस्लामी या (ममलकत इस्लामी) कहने और लिखने से गुरेज़ करें।
मुफ़्ती शौकी आलम ने क़ब्लअज़ीं कहा था कि ये इंतिहापसंद ग्रुप तमाम इस्लामी उसूलों और क़्वानीन की ख़िलाफ़वर्ज़ी का मुर्तक़िब हो रहा है और ये मजमूई तौर पर इस्लाम के लिए ख़तरा है। मुफ़्ती-ए-आज़म के एक मुशीर इब्राहीम नजम ने कहा है कि इस ग्रुप को इराक़ और शाम में अलक़ायदा का अलाहिदगी पसंद क़रार दिया जाए या इस का मुख़फ़्फ़फ़ क्यु एस आई एस लिखा जाए।
मिडल इस्ट न्यूज़ एजेंसी (मीना) के मुताबिक़ इब्राहीम नजम ने कहा है कि दाइश के नाम की तबदीली के हवाले से ये इक़दाम इस्लाम के तशख़्ख़ुस को दरुस्त करने के लिए चलाई जाने वाली मुहिम का हिस्सा है क्योंकि ऐसे ग्रुपों के मुजरिमाना अफ़आल की वजह से मग़रिब में इस्लाम तशख़्ख़ुस मजरूह होने के इलावा लोगों के दरमयान नफ़रत फैल रही है।