देवबंद 18 अप्रैल: ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल के जनरल सेक्रेटरी मंज़ूर आलम ने कहा है कि दुनिया-भर के तमाम मुसलमानों में एक अजीब किस्म की बेचैनी, ग़ैर यक़ीनी और अदम इतमीनानी पाई जा रही है जो दरअसल सारी दुनिया में इस्लाम के ख़िलाफ़ पैदा होने वाली नफ़रत और ख़ौफ़ का नतीजा है और इस्लाम से ख़ौफ़-ज़दा अनासिर से इस्लाम का नाम-ओ-निशान मिटा देने के दरपे हैं।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडीया में मुसलमानों के बारे में आने वाली ख़बरों के तजज़िया के ज़रीये इस सूरते हाल को सही अंदाज़ में समझा जा सकता है। 90 फ़ीसद मीडिया इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ है। डॉ मंज़ूर आलम जो एक दीनी तालीमी इदारा दारुल-उलूम ज़करिया में मुनाक़िदा एक तक़रीब से ख़िताब कर रहे थे, कहा कि ये मीडिया की ताक़त ही थी जो बीजेपी को बरसर-ए-इक्तदार आई।
मुसलमानों में फूट डालने के लिए बाज़ गोशों की तरफ़ से की जाने वाली मुबय्यना कोशिशों का इशारा करते हुए उन्होंने मुसलमानों और खास्कर् मुस्लिम क़ाइदीन पर-ज़ोर दिया कि वो आरएसएस, के नज़रियात और इरादों को समझने की कोशिश करें। उन्होंने दावा किया कि बाज़ (ज़मीर फ़रोश) उल्मा को आरएसएस ख़तीर रक़ूमात देते हुए मिल्लत-ए-इस्लामीया को मसलकी बुनियाद पर मुनक़सिम करने के काम ले रही है। इस मक़सद के लिए मज़हबी, मसलकी, नज़रियाती-ओ-सियासी इख़तेलाफ़ात पैदा किए जा रहे हैं ताके मिल्लत-ए-इस्लामीया एक प्लेटफार्म पर कभी मुत्तहिद ना हो सके और एक मुनक़सिम मिल्लत की हैसियत से हमेशा कमज़ोर रहे। इस के साथ ये भी एक हक़ीक़त है कि दुसरे तबक़ात के मुक़ाबले मुस्लमान तालीमी तौर पर ज़्यादा पसमांदा हैं जिसके बावजूद भी सारी दुनिया मुसलमानों से ही ख़ौफ़ज़दा है और उन्हें मिटाने की मुम्किना कोशिश कर रही है।
डॉ मंज़ूर आलम ने कहा कि चुनांचे आपके लिए ज़रूरी है कि इस्लाम की सही तालीमात हासिल करते हुए दुनिया को अमन-ओ-हम-आहंगी से मुताल्लिक़ इस्लाम के पैग़ाम से रोशनास करवाईं। उन्होंने मुस्लिम नौजवानों पर-ज़ोर दिया कि वो दीनी-ओ-असरी तालीम पर यकसाँ तवज्जा दें। अपनी मादरी ज़बान के अलावा अंग्रेज़ी, हिन्दी और हत्ता कि संस्कृत पर भी उबूर हासिल करें ताके अपने अब्नाए वत्न को इस्लाम और मुसलमानों की हक़ीक़ी तस्वीर दिखाएंगे