बेनियाबाग मैदान में शनिवार को आयोजित ‘इस्लाहे मुआशरा व तहफ्फुजे जम्हूरियत कांफ्रेंस’ में जमीअत उलमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि जो लोग अपनी सियासत के लिए हिंदुस्तान के लोगों के बीच नफरत को हवा दे रहे हैं, वो खुद अपने मजहब के वफादार नहीं।
कहा कि मुसलमानों को ऐसे लोगों से बचकर रहना होगा। उन्होंने अलग-अलग मजहब के लोगों में आपसी भाईचारे और सौहार्द पर जोर दिया। उन्होंने नबी के बताए रस्ते पर चलने की लोगाें को सीख दी। मौलाना की तकरीर से नूरानी मोती चुनने को सैकड़ों की तादाद में लोग बेनियाबाग पहुंचे थे।
जमीअत उलमा जिला बनारस की ओर से हुए इस जलसे में बतौर विशिष्ट अतिथि जमीअत उलमा हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी ने कहा कि इस्लाम एक जीवन दर्शन है। इसमें ही दीन और दुनिया की खुशी है। कुरआन और नबी की लाई हुई शरीअत में ही इस्लाम का सार है।
महाराष्ट्र के महासचिव मौलाना हलीमुल्लाह कासमी ने कहा कि इस्लाम और वतनपरस्ती एक दूसरे का हिस्सा है। ईमान से अमन निकलता है और इस्लाम से सलामती। मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि मुसलमानों के पिछड़ने की वजह कुरआन की सुन्नतों से दूरी है।
मौलाना नूरुल हसन कासमी, कारी रहमतुल्लाह इलाहाबादी, मौलाना अनवर रशीद ने भी विचार रखे। संचालन मौलाना वसीम शेरवानी, स्वागत अब्दुल्ला फैसल और शुक्रिया इशरत उस्मानी ने किया। जलसे में जावेद इकबाल, अब्दुल वहीद, सलीम अख्तर, हाफिज सुहेल, जहीर अनवर, मौलाना जाहिर कासमी, अब्दुल अजीज, शाहिद अजीजी, राशिद जमाल आदि मौजूद रहे।