धार्मिक भावनाऐं आहत करने वाले को फांसी होनी चाहिये: महमूद मदनी

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नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि ऐसे लोग जो किसी भी धार्मिक नेता का अपमान करे या किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाए उन्हें उम्रक़ैद या मौत की सज़ा दी जानी चाहिए |

मदनी ने मेरठ के फैज-ए-आम कॉलेज में अपने संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा बुलाई गयी बैठक जुलुस-ए-इंसाफ़ में ये बयान दिया |

उन्होंने कहा कि “हम अपनी पसंद से भारतीय हैं न कि संयोग से ये मुल्क से हमारी मोहब्बत ही थी कि हमने भारत के विभाजन के बाद भी भारत में ही रहना पसंद किया” |उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि वो 2012 के विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए मुसलमानों के लिए 18 फीसदी आरक्षण के वादे को पूरा करे |

मदनी ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और जामिया मिलिया इस्लामिया के अल्पसंख्यक का दर्जा को बरकरार रखना चाहिए और जेलों में बंद निर्दोष मुसलमानों को रिहा किया जाना चाहिए। प्रोग्राम में मौजूद हिंदू और ईसाई नेताओं ने कहा कि लोगों को जाति और धर्म से ऊपर उठकर सद्भाव में रहना होगा |

“जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों को सद्भाव के साथ रहते हुए ऐसे लोगों से देश को बचाना है जो देश को विनाश की और ले जा रहे हैं |

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि “न तो अखलाक़ की हत्या हिन्दू धर्म की प्रतीक है और न ही एके -47 के साथ निर्दोष लोगों का खून बहाने वालों को मुसलमानों कहा जा सकता है” |

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना उस्मान ने कहा कि “अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी होगी” |

फ़ादर मनीष जॉनसन ने कहा कि “हम सभी को सद्भाव के साथ रहते हुए सब से नफरत को खत्म हो करना चाहिए।”

सभी नेताओं ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर मानवता के लिए काम करने की शपथ ली |