कोलकाता। केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद मोहम्मद अरशद मदनी ने कहा कि नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की नीयत ठीक नहीं है और वह पर्सनल ला और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करके देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचा कर अपनी सत्ता को बढ़ावा देना चाहते हैं मगर देश के मुसलमानों को अपने देश से प्यार है और उन्होंने देश की आजादी के लिए जान की बाजी लगाई है और इस समय गुलामी के खिलाफ आवाज बुलंद की और संघर्ष किया जब कांग्रेस का अस्तित्व तक नहीं था।
इसलिए मुसलमान फासीवादी ताकतों को देश को बर्बाद करने नहीं देंगे। कलकत्ता में आयोजित मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अधिवेशन को संबोधित करते हुए मौलाना सैयद मोहम्मद अरशद मदनी ने कहा कि जब देश में घर वापसी, मुसलमानों से वोट का अधिकार से वंचित कर देने, गौ रक्षा के नाम पर मुसलमानों पर हमले हो रहे थे और लव जिहाद समस्या उठाया जा रहा था उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप थे मगर वह यूपी में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात करते हैं और कहते हैं कि वह मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार नहीं होने देंगे।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार मौलाना ने कहा कि मोदी की नीयत में फितूर है। उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमान 1300 सौ साल से हैं और उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त थी. मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता तब भी हासिल थी जब देश में मुस्लिम शासक थे। जब अंग्रेज आए तब भी मुस्लिम पर्सनल ला सुरक्षित था और देश आज़ाद होने के समय में भी भारत के संविधान ने धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी। उन्होंने कहा कि सरकारें बदलती रहेंगी मगर मुस्लिम पर्सनल ला सुरक्षित रहेगा और हम अपनी धार्मिक स्वतंत्रता त्याग नहीं सकते हैं। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा ला आयोग के सवालों के बहिष्कार का समर्थन की घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय मुसलमान मुस्लिम पर्सनल ला बोर ड के साथ है। जमीअत उलेमा हिंद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है।
मौलाना ने कहा कि हम ला आयोग सवालों के बहिष्कार का समर्थन इसलिए कर रहे हैं कि ला आयोग के उद्देश्यों अच्छे नहीं हैं क्योंकि वह मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित प्रश्न मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं से पूछने के बजाय भारतीय जनता से पूछा है। उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों की संख्या 20 प्रतिशत के करीब है जाहिर है कि 80 प्रतिशत का संबंध बहुल वर्ग से है। मौलाना ने कहा कि अगर ला कमीशन मुसलमानों से सवाल पूछता तो मुसलमानों की 99 प्रतिशत आबादी मुस्लिम पर्सनल ला के पक्ष में है वह व्यवस्था में हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं है।