नई बर्क़ी शरहें

रियासत के किरण कुमार रेड्डी हुकूमत का इमतिहान ये है कि मुकम्मल शाइस्तगी के इलावा हुक्मरानी की ज़िम्मेदारीयों को बख़ूबी अंजाम दे ताकि वो आने वाले ज़िमनी इंतिख़ाबात और साल 2014 के असैंबली इंतिख़ाबात में अवाम का दुबारा ख़त एतिमाद हासिल करने में कामयाब हो सके। सयासी तौर पर कांग्रेस की हुकूमत को अवाम की फ़िक्र नज़र नहीं आती। अबतर हुक्मरानी के बावजूद वो अवाम को मुख़्तलिफ़ उनवानात से परेशान किया जा रहा है।

महंगाई ने अवाम की कमर तोड़ दी है तो अब बर्क़ी शरहों में इज़ाफ़ा का मंसूबा बनाया गया है। बर्क़ी सारिफ़ीन पर यक्म अप्रैल से नई शरहें नाफ़िज़ कर दी जाएंगी। घरेलू, सनअतों और दीगर तिजारती अग़राज़ के लिए इस्तिमाल करने वाले बर्क़ी सारिफ़ीन की शरहों में इज़ाफ़ा मज़ीद मुश्किलात पैदा करेगा।

हर माह घरेलू सतह पर 50 यूनिट तक बर्क़ी इस्तिमाल करने वाले नई शरहों के दायरा से दूर रहेंगी। रियासत में 50 यूनिट से कम बर्क़ी इस्तिमाल करने वालों की तादाद कितनी होगी और इस से कौन कितना मुस्तफ़ीद होगा।

ये नई शरहों के नफ़ाज़ और माबाक़ी बिलों की वसूली के बाद है अंदाज़ा होगा क्योंकि 50 यूनिट तक बर्क़ी का इस्तिमाल करने की तरकीब पर अमल करने वालों की तादाद में ग़ैर उसूली तौर पर इज़ाफ़ा हो सकता है। बदउनवानीयों की राह दिखाने वाले बर्क़ी ओहदेदारों को भी इस हवाले से रिश्वतखोरी में मज़ीद इज़ाफ़ा होगा।

जिस चीज़ को जितना मुश्किल बना दिया जाएगा इस का बेजा या ग़लत इस्तिमाल भी ख़ूब होगा। माक़ूलीयत पसंदी से हट कर जब हुकूमत ज़्यादतियों पर उतर आती है तो वो निज़ाम हुक्मरानी के ज़रीया ग़लत इक़दामात को हुआ देती है। जिन शहरीयों पर हुकूमत बर्क़ी शरहों का बोझ डाल रही है उन पर पहले ही से कई किस्म के मालीयाती बोझ डाली जा चुकी हैं।

अपनी नाक़िस कारकर्दगी या ग़लत मंसूबों को पोशीदा रखते हुए हुकूमत ने अवाम की आँखों में धूल झोंक कर टैक्सों का इज़ाफ़ा किया। ईंधन चार्जस के नाम पर इज़ाफ़ी रक़म हासिल की जाने लगी। अवाम के इलम में लाए बगै़र वो चुपके से कई टैक्सों को नाफ़िज़ कर दिया गया है। एक आम आदमी जब बाज़ार से कोई शए ख़रीदता है तो इव्ज़ वो मुख़्तलिफ़ टैक्सों को अदा करता है।

गुज़श्ता एक साल के दौरान अवाम पर इज़ाफ़ी क़दर टैक्स (VAT) नाफ़िज़ किया और अब मज़ीद टैक्स नाफ़िज़ करते हुए 15000 करोड़ रुपय के टैक्सों और टैरिफ में इज़ाफ़ा करना चाहती है। आर टी सी किरायों में इज़ाफ़ा के ज़रीया हुकूमत 10 हज़ार करोड़ रुपय वसूल कररही है। पैट्रोल की क़ीमत मर्कज़ी सतह पर कम होता है और रियास्ती हुकूमत इस पर फ़ी लीटर दोगुना सरचार्ज लगाकर सारिफ़ीन से ज़ाइद रक़ूमात बटोर रही ही। बलदी ओहदेदारों को जायदाद टैक्सों में इज़ाफ़ा करके अंधा धुंद रक़ूमात की वसूली की इजाज़त दी गई।

कचरे की सफ़ाई के लिए भी हुकूमत ने टैक्स की वसूली का निज़ाम तै कर लिया है। आबरसानी बिलों में भी इज़ाफ़ा शरहें वसूल की जा रही हैं ये सब कुछ ख़ामोशी से किया जा रहा है। अवाम को दरपेश मसाइल की यकसूई के बजाय उन्हें परेशानकुन हालात में मुबतला रखने में मसरूफ़ है।

रियासत की सयासी सूरत-ए-हाल और अपनी नाकामियों की पर्दापोशी के लिए अवाम की तवज्जा उन की जेब बचाने और टैक्सों की फ़िक्र करने की जानिब मबज़ूल करदी जा रही है। अफ़सोसनाक बात ये है कि रियासत में बाअज़ पार्टीयां सयासी मुफ़ादात की ख़ातिर अपोज़ीशन का मौक़िफ़ तर्क करके बरसर-ए-इक्तदार पार्टी का साथ दे रही हैं।

ऐसी पार्टीयों को सयासी तारीख़ की किताबों में लौटा का नाम दिया गया है। इस लौटा किस्म की पार्टीयों की वजह से अवाम पर ज़ाइद बोझ डालने की हुकूमत हिम्मत कर पारही है। बर्क़ी कटौती से परेशान शहरीयों को रोज़ाना 2 से 4 घंटे तारीकी में गुज़ारने पड़ रहे हैं। बड़े शहर में बर्क़ी कटौती का कोई उसूल ताय्युन नहीं जब चाहे बर्क़ी मुनक़ते कर दी जाती है।

देही इलाक़ों में अवाम 10 से 12 घंटे बर्क़ी से महरूम रहते हैं। अगर चूँकि इस मसला का चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने जायज़ा लिया है और बर्क़ी ओहदेदारों पर ब्रहमी ज़ाहिर करके बर्क़ी सरबराही को माक़ूल बनाने की हिदायत दी है लेकिन जब बर्क़ी सरबराही की सूरत-ए-हाल को बेहतर बनाने के बजाय हुकूमत सारिफ़ीन की जेब हल्की किस तरह की जाय के मंसूबे बनाने में वक़्त लगा दे तो बर्क़ी ओहदेदारों को बर्क़ी सरबराही की सूरत-ए-हाल को बेहतर बनाने की फ़िक्र क्यों कर होगी।

हुकूमत ने नई शरहों के ज़रीया 4950 करोड़ रुपय इज़ाफ़ा शरह वसूल करने का फ़ैसला कर लिया है। इस नई शरहों को आंधरा प्रदेश इलेक्ट्रीसिटी रैगूलेटरी कमीशन की मंज़ूरी मिलना बाक़ी है। अगर कमीशन ने नई शरहों की इजाज़त दे दी तो घरेलू सारिफ़ीन पर 100 से 200 यूनिट फ़ी माह इस्तिमाल करने वालों को फ़ी यूनिट 3.60 रुपय चार्ज किया जाएगा जबकि फ़िलहाल उन से 3.05 रुपय वसूल किए जा रहे हैं।

200 से 300 यूनिट्स के दरमयान फ़ी यूनिट 5.75 रुपय चार्ज किया जाएगा। जो मुतवस्सित ख़ानदान के लिए ज़बरदस्त बोझ है। 500 से ज़ाइद यूनिट इस्तिमाल करने वालों से फ़ी यूनिट 7 रुपय वसूल किए जाएंगी। यही शरह सनअतों के लिए फ़ी यूनिट 1.10 रुपय का इज़ाफ़ा किया गया है। घरेलू सारिफ़ीन और तिजारती

अग़राज़ के लिए बर्क़ी इस्तिमाल करने वालों से 15 फ़ीसद ज़ाइद शरह वसूल की जा रही है। सनअतों के लिए 10 फ़ीसद का इज़ाफ़ा होगा जिन से गुज़श्ता चंद बरसों से कोई इज़ाफ़ी शरह वसूल नहीं की जा रही थी। रियासत में 2.57 करोड़ बर्क़ी सारिफ़ीन के मिनजुमला 1.42 करोड़ सारिफ़ीन को नई शरहों से मुतास्सिर ना करने का इद्दिआ करनेवाली हुकूमत ख़ामोशी से उन सारिफ़ीन पर बोझ डालते जा रही है। रियासत में 50 यूनिट माहाना तक बर्क़ी इस्तिमाल करने वालों की तादाद बमुश्किल 28 लाख होगी।

इस नई शरह से सब से ज़्यादा मुतवस्सित तबक़ा को निशाना बनाया जा रहा है जो पहले ही कई दीगर इज़ाफ़ा शरहों और मसारिफ़ के बोझ में दबा हुआ है। नई बर्क़ी शरहें किसी भी सूरत ग़रीब के साथ साथ आम मुतवस्सित ख़ानदानों के लिए इज़ाफ़ा बूझ के सिवा कुछ नहीं बल्कि बोहरान को मज़ीद गहिरा बनाने के मुतरादिफ़ है।