नई बसों के हुसूल के लिए मर्कज़ की मंज़ूरी की तंसीख़ का ख़तरा

ए पी एस आर टी सी को जवाहर लाल नहरू नेशनल अर्बन रेनिवल मिशन के तहत मर्कज़ी हुकूमत से मिलने वाली इमदाद रुक जाने का अंदेशा लाहक़ होगया है।

कहा गया है कि ख़ुद ए पी एस आर टी सी को ख़सारा की वजह से फ़ंडज़ की क़िल्लत का सामना है। मर्कज़ की वज़ारत शहरी तरकियात ने पिछ्ले हफ़्ते आर टी सी को जुमला 332.34 करोड़ रुपये के सर्फ़ा से जय एन एन्यू आर एम स्किम के दूसरे मरहले के तौर पर 737 नई बसें खरीदने की मंज़ूरी दी गई थी ताहम ज़राए ने बताया कि आर टी सी को ये बसें मिलनी मुश्किल हैं क्यूंकि वो अपने हिस्से की कीमत के तौर पर 123.19 करोड़ रुपये अदा करने के मौक़िफ़ में नहीं है।

आर टी सी की मुश्किलात में इज़ाफ़ा हुकूमत से भी हुआ है क्यूंकि हुकूमत ने भी इस ताल्लुक़ से कोई बेहतर रधे अमल ज़ाहिर नहीं किया है।

रियासती हुकूमत को बसों की खरीदी पर जुमला कीमत का 35 फ़ीसद हिस्सा अदा करना होता है। बसों की जुमला कीमत में मर्कज़ी हुकूमत को जुमला 140.72 करोड़ रुपये रियासती हुकूमत को 68.43 करोड़ रुपये और आर टी सी को 123.19 करोड़ रुपये अदा करने थे।

जुमला 737 बसों में हैदराबाद को जुमला 422 नई बसें मिलनी थीं जिन की छतें ज़्यादा ऊंची नहीं होंगी। विशाखापटनम को 105 विजयवाड़ा को 90 और तिरूपति को 120 बसें मिलनी थीं। इस स्किम के तहत आर टी सी और रियासती हुकूमत को मंज़ूरी मिलने से दो माह के अंदर अपनी अदायगीयाँ करनी चाहिऐं।

आर टी सी को पहले ही माली बोहरान का सामना है जबकि रियासती हुकूमत भी दरकार मदद के लिए आगे नहीं आ रही है। अगर ख़त्म दिसमबर तक फ़ंडज़ फ्रॉम नहीं किए गए तो होसकता है के मर्कज़ की त्तरफ से इस ग्रांट को मंसूख़ करदिया जाएगा।

आर टी सी को जुमला 4,200 करोड़ रुपये का ख़सारा है और इस पर 4,500 करोड़ रुपये का क़र्ज़ भी है। इस पर उसे यौमिया एक करोड़ रुपये सूद भी अदा करना होता है।

इस के अलावा सीमांध्र मुलाज़िमीन की 66 दिन तक चली हड़ताल की वजह से भी हालात खराब होगए हैं। इस से आर टी सी को 800 करोड़ रुपये का नुक़्सान हुआ है।