नई दिल्ली, ०१ फरवरी (यू एन आई) हुकूमत के पंद्रह सौ नए आई पी एस अफ़िसरों की भर्ती के हालिया ऐलान और इस के ज़ाबतों पर तनाज़ा बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है। हुकूमत का कहना है कि इन अफ़िसरों की भर्ती यू पी एस सी के इलावा दीगर इदारों के ज़रीया मुनाक़िदा इम्तेहानात से भी की जा सकती है जबकि यू पी एस सी ने इसकी मुख़ालिफ़त की है।
इस मुआमले पर यू एन आई के ख़ुसूसी नुमाइंदे से बात करते हुए ज़कात फ़ाउंडेशन आफ़ इंडिया के सदर डाक्टर सय्यद ज़फ़र महमूद ने जो ख़ुद भी ज़कात फ़ाउंडेशन के तहत आई ए एस कोचिंग कराते हैं, कहा कि दरअसल ये मुल्क के आई पी एस अफ़िसरों की साज़िश है । हुकूमत ने कहा है कि आई पी एस अफ़िसरों की भर्ती फ़ौज के कप्तान की सतह के आफ़िसरान, अस्सिटेंट कमांडैंट और डिप्टी सुप्रीटेंडेटों की सतह के आफ़िसरान के दरमयान मुक़ाबला जाती इमकान करके ज़रीया की जा सकती है लेकिन यू पी एस सी ने इस की सख़्त मुख़ालिफ़त की है।
डाक्टर सैयद ज़फ़र महमूद ने कहा कि हुकूमत को यू पी एस सी से इस लिए पूछना पड़ा कि ये उन की आईनी मजबूरी है । उन्हों ने कहाकि आईन में इस की वज़ाहत है कि ऐसे इक़दामात यू पी एस सी से मश्वरा के बगै़र नहीं उठाए जा सकते हैं। उन्हों ने कहाकि अगर यू पी एससी के ज़रीया खुले तौर पर इमतेहान से ये भर्तियां ना हो तो जो भी मुस्लमान इस तरह आई पी एस बन सकते हैं उन के भी इमकानात से मादूम हो जाएंगे।