नए मोबाईल टावर्स के लिए ज़ाबता की तकमील का लज़ूम

नई दिल्ली, २३ नवंबर, ( पीटीआई) अब जबकि ये बात तक़रीबन तय है कि फ़ोन टावर्स इंसानी सेहत के लिए इंतिहाई मुज़िर हैं। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मुतअद्दिद टेलीकॉम कंपनीयों को हिदायत दी है कि नए सेलफोन टावर्स की ईस्तादगी से क़बल ज़ाबतों की तकमील और मुताल्लिक़ा महकमा से इजाज़त हासिल की जाए।

उबूरी सदर नशीन जस्टिस ए एस नायडू और माहिर रुकन पी सी मिश्रा पर मुश्तमिल एक एन जी टी बंच ने वाज़िह कर दिया कि सेलफोन टावर्स से ख़ारिज होने वाली ताबकारी के पेशे नज़र चूँकि इससे सेहत के मुतास्सिर होने का अंदेशा है लिहाज़ा तमाम कंपनीयों को ये हिदायत दी जाती है कि वो ज़वाबत पर अमल आवरी और उनकी तकमील के इलावा बगै़र इजाज़त किसी भी नए सेलफोन टावर्स की ईस्तादगी अमल में ना लाएंगे।

इस सिलसिला में वज़ारत-ए-मवासलात-ओ-आई टी, वज़ारत माहौलियात-ओ-जंगलात, वज़ारत-ए-सेहत सेकोरेटीज़ ऐंड एक्सचेंज बोर्ड आफ़ इंडिया, टेलीकॉम कंपनीयों भारती इंफ्राटेल लिमिटेड, एयर टेल, आईडीया, वोडाफोन, टाटा, रिलायंस और भारत संचार निगम लिमिटेड को नोटिस जारी करते हुए एन जी टी ने उन से इस मुआमला की आइन्दा समाअत यानी 20 दिसम्बर तक अपने तास्सुरात या रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करने की ख़ाहिश की है।

याद रहे कि ट्ऱिब्यूनल ने ये हिदायात दरअसल दिल्ली के एक शहरी अरविंद गुप्ता की जानिब से दाख़िल करदा दरख़ास्त पर दिए हैं जिसने मर्कज़ी हुकूमत और टेलीकॉम कंपनीयों को एन जी टी की जानिब से हिदायत जारी करने की ख़ाहिश की थी कि किस तरह सेलफोन टावर्स सेहत के लिए मुज़िर हैं और किस तरह नए टावर्स की तंसीब के लिए दरकार इजाज़त हासिल की जाए।

मिस्टर गुप्ता ने अपनी दरख़ास्त अपने वकील एस पी त्रिपाठी के ज़रीया दाख़िल की करवाई थी।