नकली दंगे में केसरिया झंडा, पुलिस पर उठे सवाल

इलाहाबाद: इलाहाबाद शहर एक तरफ तो अमेरिका की मदद से स्मार्ट सिटी के तौर पर डेवलप होने जा रहा है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ यहां की पुलिस दंगाइयों से मुकाबला करने के बजाय डरकर उलटे पाँव भाग खड़ी होती है.

इलाहाबाद पुलिस की यह हकीकत आज पुलिस लाइंस में दंगा को काबू में करने के लिए हुए मॉकड्रिल में सामने आई. इसमें पुलिस वाले ज़्यादातर बैकफुट पर ही रहे, दंगाइयों ने पैदल के साथ ही घुड़सवार पुलिस को भी दौड़ा दिया. कई पुलिस वाले चोट खाकर ज़ख़्मी हो गए तो कइयों का सेफ्टी गार्ड ज़रा सी धक्का मुक्की में ही टूट गया.

कुछ पुलिस वालों की राइफल वक्त पर दगा दे गई, तो ज़रा सी दौड़- भाग में भी कइयों की सांस फूलने लगी. बाद में अफसरों ने इन पुलिस वालों को जमकर फटकार लगाई.

खास बात ये भी है कि जिन लोगों को दंगाइयों के तौर पर पेश किया गया वो केसरिया पर्चम लेकर आए थे. इसके पीछे कोई खास वजह है ये साफ नहीं है.

केसरिया झंडा के सवाल पर बीजेपी नेता रामेश्वर चौरसिया का कहना है कि यहां पुलिस की गलती साफ दिखती है.

करीब दो घंटे तक हुई माक ड्रिल में पुलिस के लोग दंगाइयों पर न तो टियर गैस से काबू पा सके और न ही वाटर कैनन मशीन की तरफ से किये गये गर्म पानी के बौछारों से. फायरिंग का हुक्म दिया गया तो कई पुलिस वाले देर तक राइफल ही नहीं चला सके.

किसी से राइफल लेकर दौड़ते नहीं बना तो किसी के हथियार फंसते हुए फायर हुए. इस मॉकड्रिल में पुलिस वाले पूरी सेफ्टी किट के साथ गए भी नहीं थे. उनके सेफ्टी गार्ड इस हालत में थे कि दो लाठी पड़ते ही चकनाचूर हो गए. तमाम पुलिस वाले तो ज़रा सी भाग- दौड़ में हाँफते हुए नजर आए.

अपने मातहतों की इस तैयारी पर अफसरान जमकर फायर हुए और उन्हें खूब फटकार लगाई. इस माक ड्रिल में न पुलिस वाले फिट नजर आए और न ही उनके असलहे. मॉडर्न टेक्नालाजी तो दूर- दूर तक नजर ही नहीं आई. अफसरों ने भी खामियों को कबूल करते हुए बड़े सुधार की ज़रुरत की बात कही है.

बहरहाल कलई खुलने के बाद अफसरों ने अब सभी थानों पर हर हफ्ते फिटनेस टेस्ट होने और इस तरह की रिहर्सलों को करने का फरमान जारी किया है. इतना ही नहीं पुलिस वालों को अपना रवैया सुधारने और लोगों से दोस्तों की तरह पेश आने की नसीहत भी दी गई है.