नक्सलाइटस तशद्दुद में कोई कमी नई हुई, सूरत-ए-हाल से निमटना मर्कज़ और रियास्तों की मुशतर्का ज़िम्मेदारी: चिदम़्बरम

नई दिल्ली।5 सितंबर ( पी टी आई) नक्सलाइटस से बुरी तरह मुतास्सिरा रियास्तों छत्तीसगढ़ , झारखंड, बिहार और उड़ीसा में तशद्दुद पर हनूज़ क़ाबू पाया नहीं जा सका और ये इत्तिलाआत भी मिल रही हैं कि माओ सुट्टों ने मग़रिबी बंगाल यूनिट को जंगल महल में गोरीला अड्डे क़ायम करने की हिदायत दी ही। वज़ीर-ए-दाख़िला पी चिदम़्बरम ने आज ये बात बताई। उन्हों ने कहा कि बाएं बाज़ू इंतिहापसंदी उस वक़्त मुल्क में सब से ज़्यादा बदतरीन तशद्दुद पर मबनी तहरीक है और सी पी आई (माओसट) सब से ज़्यादा तशद्दुद अंगेज़ तंज़ीम ही। उन्हों ने डी जी पेज और आई जी पेज कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर अफ़सोस है कि बिहार , छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्रा और उड़ीसा में नक्सलाइटस तशद्दुद में कोई कमी वाक़्य नहीं हुई। यही नहीं बल्कि ऐसी इत्तिलाआत भी हैं कि सी पी आई (माओसट ) ने रियास्ती यूनिट को जंगल महल में गोरीला अड्डे (छुप कर निशाना बनाना) क़ायम करने की भी हिदायत दी ही। इस के इलावा तशद्दुद के वाक़ियात इज़ाफ़ा हवाही। पी चिदम़्बरम ने बताया कि सी पी आई (माओसट) ने पीपल्ज़ लिबरेशन गोरीला आर्मी की चार कंपनीयों का इज़ाफ़ा किया है और इस का मक़सद आज भी मुसल्लह आज़ादी जद्द-ओ-जहद के ज़रीया इक़तिदार पर क़बज़ा करना ही। चिदम़्बरम ने कहा कि वो शुरू से यही दुहराते आरहे हैं कि बाएं बाज़ू इंतिहापसंदी से निमटना मर्कज़ और रियास्तों की मुसावी ज़िम्मेदारी है अगरचे नक्सलाइटस तशद्दुद के वाक़ियात और नुक़्सानात की तादाद में किसी क़दर कमी ज़ाहिर की जा रही है लेकिन इस की सब से अहम वजह मग़रिबी बंगाल की सूरत-ए-हाल में हुई तबदीली ही। वज़ीर-ए-दाख़िला ने डायरैक्टर जनरल पुलिस को हिदायत दी कि वो बाग़ियाना इक़दामात से निमटने के सिलसिला में अपनी ज़िम्मेदारीयों को महसूस करें और बाएं बाज़ू इंतिहापसंदी के ख़िलाफ़ मुख़्तसर-ओ-वस्त मुद्दती लायेहा-ए-अमल तैय्यार करें। वज़ीर-ए-दाख़िला ने कहा कि मर्कज़ और रियास्तों के माबैन तआवुन के बेहतर नताइज बरामद होरहे हैं लेकिन अब भी काफ़ी तवील फ़ासिला पाया जाता है जिसे तै करना ही। मर्कज़ी हुकूमत ने बाएं बाज़ू इंतिहापसंदी से निमटने के मुआमला में अपने हिस्सा की ज़िम्मेदारी पोली करली ही। चिदम़्बरम ने बताया कि मर्कज़ ने सी आर पी एफ़ की 71 बटालियन ताय्युनात की हैं जबकि 2009 -ए-में 37 बटालियन ताय्युनात थीं। सकीवरीटी से मुताल्लिक़ मसारिफ़ स्कीम के लिए मुख़तस बजट को 2008-09 -ए-में 80 करोड़ से बढ़ाकर 2011-12-ए-में 337 करोड़ रुपय करदिया ही। इसी तरह स्पैशल इनफ़रास्ट्रक्चर स्कीम के तहत बजट भी बढ़ाकर 140 करोड़ रुपय करदिया गया है जबकि 2009-10-ए-में ये सिर्फ़ 30 करोड़ रुपय था। मर्कज़ी हुकूमत ने 400 फ़सील बंद पुलिस स्टेशनों के लिए फ़ी पुलिस स्टेशन 2करोड़ रुपय की रक़म भी मुख़तस की ही।