असल नक्सलियों की शिनाख्त पुलिस के लिए चुनौती थी। अब शिनाख्त को आसान करने के लिए हुकूमत ने एडीजी खुसुसि शाख की सदारत में एक कमेटी बना दी है। कमेटी का काम नक्सलियों की शिनाख्त कर उन्हें सरेंडर के लिए हौसला अफजाई कराना और हुकूमत के कानून के मुताबिक उन्हें बहाली करना है।
हाल के दिनों में स्पेशल ब्रांच समेत दीगर खुफिया एजेंसियों ने हुकूमत को इत्तिला दी थी कि जिन नक्सलियों ने सरेंडर किया था उन्हें पैकेज के तहत रकम दी गयी, लेकिन कुछ दिन बाद फिर पुराने तंजीम में शामिल होकर अपनी सरगरमियों को अंजाम देने लगे हैं। फिलहाल रियासत में सरेंडर करने वाले नक्सलियों की तादाद 200 से ज़्यादा है।
इन खबरों के बाद मर्कज़ी दाख्ला वज़ीर ने एक नयी पॉलिसी को तैयार कर तमाम रियासतों को भेजा है। उसी पॉलिसी को रियासती हुकूमत ने 3 दिसंबर की कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी है।
पॉलिसी में तजवीज है कि ओहदे के मुताबिक नक्सलियों को बहाली पैकेज दिया जायेगा। जो नये रंगरूट होंगे और अगर वह सरेंडर करते हैं, तो उन्हें तीन साल तक चार हजार रुपये माहाना मिलेगा।
रियासती कमेटी के रुक्न, मुक़ामी समिति के रुक्न, मर्कज़ी कमेटी के रुक्न और पोलित ब्यूरो के रुक्न को सरेंडर करने पर फौरी मदद के तौर में ढाइ लाख, एरिया कमांडर, नायब मुक़ामी कमांडर, मुक़ामी जांच कमांडर और पुलिस की तरफ से निशादेही हार्डकोर वामपंथी उग्रवादियों को डेढ़ लाख रुपये पैकेज दिया जायेगा। पैकेज की रकम उनके नाम से बैंक खाते में तीन साल तक जमा रहेगा।