बिहार पुलिस अब नक्सलियों को उन्हीं की तर्ज़ में जवाब देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पुलिस के जवानों को काउंटर इंसरजेंसी एंड एंटी टेररिज्म (सीआइएटी) स्कूल में तरबियत दिया जायेगा।
बिहार में पुलिस के जवानों को सीआइएटी की तरबियत देने के लिए तीन-तीन स्कूल हैं, जहां इन्हें नौ हफ्ताह की ट्रेनिंग दी जायेगी। इसमें बिहार पुलिस के जवानों को ठीक नक्सलियों के तर्ज पर रात के घुप अंधेरे में घात लगा कर नक्सली दस्तों पर हमले के गुर सिखाये जायेंगे। दरअसल, इस तरह के गुरिल्ला हमले अब तक सिर्फ नक्सली ही किया करते हैं। ऐसे हमलों के बाद पुलिस निज़ाम की नींद खुलती है और इनके पास सिर्फ जवाबी कार्रवाई करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं होता।
दिल्ली की बैठक में तैयार हुई मसौदा
गुजिशता सप्ताह दिल्ली में मुल्क के अंदरुरी सेक्युर्टी मुशीर विजय कुमार की सदारत में मुल्क के मुखतलिफ़ रियासतों के आला पुलिस अफसरों की हुई बैठक में सीआइएटी के तरबियत की पूरी मसौदा तैयार की गयी है। इसमें नक्सलियों की मांद में घुस कर उनके लड़ाकू दस्तों को निशाना बनाने पर बहस किया गया है। जंग की इस सिस्टम को ‘नाइट एंबुश’ के नाम से जाना जाता है। रियासती पुलिस हेड क्वार्टर के सरकारी ज़राये से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस के जवानों को सीआइएटी का तरबियत सेना के रिटाइर्ड अफसरों की तरफ से दिया जायेगा। इस तरबियत में जवानों को यह बताया जायेगा कि रात के अंधेरे में घने जंगलों में उल्टे हालत के दरमियान नक्सलियों से लोहा लेने के गुर सिखाये जायेंगे। जवानों को इसमें जदीद असलाह चलाने के साथ-साथ जंगलवार फेयर और मैप रीडिंग का भी तरबियत दिया जायेगा। फिलहाल बिहार में पुलिस के जवानों को नाइट एंबुश और मैप रीडिंग जैसे तरबियत नहीं दिये जाते हैं।