नक्सलियों ने रिहायशी स्कूलों से मांगे 10-10 बच्चे

पुलिस का मुहिम बंद होते ही नक्सली तंजीम भाकपा माओवादी ने अपनी सर्गर्मियाँ बढ़ा दी। नक्सलियों ने अब बिशुनपुर, डुमरी और चैनपुर ब्लॉक के पहाड़ी इलाकों में चल रहे रिहाईशि स्कूलों से 10-10 बच्चे मांगे हैं। बच्चे नहीं देने पर असातिज़ा को संगीन नताईज़ भुगतने की धमकी दी गयी है। इससे इलाक़े के असातिज़ा और बच्चे डरे हुए हैं। कई बच्चे हॉस्टल छोड़ कर अपने घर चले गये हैं।

पीर को 100-150 की तादाद में माओवादियों का दस्ता बिशुनपुर के जोभीपाट गांव में चल रहे आदिम जनजाति रिहायशी स्कूल पहुंचा। उस वक़्त स्कूल के इंचार्ज प्रिंसिपल नहीं थे। रांची गये थे।

माओवादी तकरीबन एक घंटे तक वहां रहे। तमाम असातिज़ा और बच्चों को स्कूल के बाहर बुलाया। उनसे हाथ मिलाया और पानी मांगा। माओवादियों ने असातिज़ा से कहा कि हमें 10-15 दिन के अंदर 10 बच्चे चाहिए। डर से असातिज़ा ने कुछ जवाब नहीं दिया। कहा कि अभी प्रिन्सिपल नहीं हैं। माओवादियों ने कहा कि हम कुछ नहीं जानते, एक हफ्ताह बाद हमारे आदमी आयेंगे। दस्ता में भेजनेवाले 10 बच्चों की लिस्ट देनी है। इसके बाद बताया जायेगा कि बच्चों को कब देना है। इसके बाद तमाम माओवादी वहां से निकल गये।

यहां बता दें कि नक्सलियों की तरफ से बच्चों को मांगने की खबर एक अखबार में शाय होने के बाद गुमला पुलिस ने इलाके में मुहिम शुरू किया था। लेकिन पीर को जैसे ही मुहिम बंद हुआ। नक्सली सरगर्म हो गये और स्कूलों में पहुंचकर बच्चों की मांग कर रहे हैं। इधर डर से असातिज़ा और बच्चे कुछ भी बताने से डर रहे हैं। वालेदाईन भी डरे हुए हैं।

इन स्कूलों से मांगा गया है बच्चों को

नक्सलियों ने आदिम जनजाति और आदिवासी स्कूलों से बच्चों की मांग की है। इनमें बिशुनपुर ब्लॉक के जोभीपाट, सखुवापानी, चौरापाट, डुमरी के कंदापाट व चैनपुरके डोकापाट स्कूल हैं।

‘‘रिहायशी स्कूलों से बच्चों की मांगने की कोई खबर अभी तक पुलिस को नहीं मिली है। हालांकि पुलिस अपने सतह से इसका पता करेगी।

दीपक पांडेय, एसडीपीओ, गुमला

‘‘पांचों स्कूल दूरस्थ इलाकों में हैं। वहां राब्ता करना मुश्किल है। अब तक असातिज़ा ने नक्सलियों की तरफ से बच्चों के मांगने की जानकारी नहीं दी है। पता करने के बाद ही जानकारी दे सकती हूं। मधुमिता कुमारी, डीडब्ल्यूओ, गुमला