नक्सली मसला से छटपटा रहा झारखंड

झारखंड नक्सल मसले से छटपटा रहा है। रियासत बनने के वक़्त आठ जिले नक्सल मुतासिर थे। अब मर्क़ज़ की लिस्ट में 18 जिले का एलान हो गए हैं। नक्सलियों का रांची के देहि इलाके जमशेदपुर का कुछ हिस्सा, चाईबासा, लोहरदगा, खूंटी, गुमला इन सब जिलों में खासा असर है। मर्कज़ी दाखला वज़ीर के सामने झारखंड की नक्सल मसले की हालात का पूरा तफ़सीलात रखा जाएगा।

खुसूसी पैकेज देने की मुतालबा की जाएगी। साथ ही पुलिस ज़दीदकारी की रक़म बढ़ाने की मांग भी होगी। सीआरपीएफ के 20 बटालियन और फ़राहम कराने की दरख्वास्त भी हुकूमत की तरफ से किया जाएगा।

कई तंज़ीम हैं सरगर्म

झारखंड में एमसीसीआइ के अलावा टीपीसी, जेपीसी, झारखंड संघर्ष जन मुक्ति मोरचा, एसजेएम, पीएलएफआइ नामी तंज़ीम भी सरगर्म हैं। इन तंजीमों ने भी अपने इलाके में असर बना लिया है। तसल्लत को लेकर कई बार दूसरे तंजीमों के दरमियान झड़प भी हुई है।

एक हजार करोड़ की वसूली हर साल लेवी के तौर में

एक हजार करोड़ की वसूली नक्सली करते हैं। तरक़्क़ी मंसूबा, यरगमाल के बाद फिरौती, कोयला कारोबारियों से लेवी की वसूली की जाती है। मर्कज़ी दाखला वज़ीर के पास जो इत्तिला है उसके मुताबिक झारखंड से हर साल एक हजार करोड़ रुपए नक्सली वसूल रहे हैं।

400 नक्सली हैं सरगर्म

झारखंड जब अलग हुआ था उस वक़्त 1800 नक्सली सरगर्म थे, जो घट कर 400 हो गए । रियासत बनने के वक़्त झारखंड पुलिस की तादाद 18 हजार थी जो अब बढ़ कर 72 हजार हो गई है।

इसके अलावा कीरब आठ हजार सीआरपीएफ के जवान भी झारखंड में लगाए गए हैं। झारखंड में सरगर्म नक्सलियों पर जो ईनाम है उसकी रक़म बढ़ाने पर मंजूरी होगी। साथ ही सरेंडर पॉलिसी में बदलाव पर भी बहस होगी।