नक्सली हमला : जहां मनाही थी, उसी रास्ते पर जाकर फंसी पुलिस फोर्स

पुलिस के आला अफसरों ने गुजिशता 27 जनवरी को बगैर ब्रीफिंग, पुख्ता तैयारी व जल्दबाजी में सीआरपीएफ और झारखंड जगुआर के जवानों को गिरिडीह के पीरटांड़ जंगल में भेज दिया था। जिस रास्ते से जाने के लिए मना किया गया था, पुलिस फोर्स उसी रास्ते डालमिया सड़क पर जाकर नक्सलियों के बिछाये जाल में फंस गयी। यह सब तब हुआ, जब पुलिस के कुछ अफसरों को पता था कि नक्सलियों ने पुलिस को ट्रैप करने के लिए ही यरगमाल की वाकिया को अंजाम दिया है। पुलिस के एक सीनियर अफसर ने भी बताया कि यरगमाल जैसे मामलों में जल्दबाजी से फोर्स को नुकसान उठाना पड़ता है। गिरिडीह में भी यही हुआ। मालूम हो कि पीरटांड़ वाक़ेय गोलगट्टा में 27 जनवरी को नक्सलियों के सीरियल धमाके में एक जवान शहीद हो गये थे। 16 जवान जख्मी हुए थे।

अफसरों ने जल्दबाजी दिखायी

पुलिस के ज़राये के मुताबिक, नक्सलियों की तरफ से यरगमाल किये गये लोगों को आज़ाद कराने के लिए गुजिशता 26 जनवरी को हजारीबाग के कोनार वाक़ेय सीआरपीएफ कैंप से जवानों को गिरिडीह भेजा गया था। सीआरपीएफ के जवान रात करीब दो बजे पीरटांड़ पहुंचे थे। अफसरों ने जल्दबाजी दिखाते हुए उन्हें अहले सुबह करीब चार बजे जंगल में भेज दिया। जवानों को चार तरफ से जंगल में भेजा गया। आखरी टुकड़ी को सुबह सात बजे भेजा गया। ज़राये के मुताबिक, एसपी ने जिस तरह से पुलिस ऑपरेशन का प्लान किया था, उसमें भी कुछ फेरबदल कर दिया गया।

गुस्से में सीआरपीएफ जवान

गिरिडीह में तैनात सीआरपीएफ के जवान अपने साथी जवान बादल राय की ब्लास्ट में हुई मौत से गुस्से में हैं। उनका गुस्सा रियासती पुलिस के सीनियर अफसरों के खिलाफ है। जवानों ने 29 जनवरी को गिरिडीह गये सीआरपीएफ के डीजीपी और दीगर अफसरों को अपनी दुख बताए थे। अफसरों की तरफ से समझाये जाने के बाद जवान शांत हुए थे।

पुलिस टीम को क्रॉस रास्ते से जाना था

ऑपरेशन शुरू करने से पहले जवानों को पूरी जानकारी दी गयी थी। कोई जल्दबाजी नहीं की गयी थी। रियासती पुलिस के दो डीएसपी व सीआरपीएफ के एक असिस्टेंट कमांडेंट ऑपरेशन की कियादत कर रहे थे। हां, यह जरूर हुआ कि पुलिस टीम को क्रॉस रास्ते से जाना था। जो रुट तय किया गया था, पुलिस टीम उस रुट से नहीं गयी। लेकिन यह हालात पर मूनहसर करता है। जो ऑपरेशन का कियादत करते हैं, वे ही रुट तय करते हैं।
राजीव कुमार, डीजीपी, झारखंड