नक्सल खत्म नहीं कर सकते तो वर्दी वापस करें डीजीपी : हाईकोर्ट

रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने बुध को डीजीपी पर सख्त तब्सिरह की। कोर्ट ने कहा-अगर रियासत के डीजीपी नक्सल मसला नहीं दूर कर सकते तो उन्हें वर्दी सरकार को वापस कर देनी चाहिए। काम नहीं करने पर वर्दी पहनने का कोई हक नहीं है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बीरेंद्र सिंह ने एडवोकेट जनरल के जरिए डीजीपी डीके पांडेय को हिदायत दी।
कोर्ट ने कहा कि बच्चों को ढूंढ़ने के मामले में कोई एक्शन नहीं दिखा तो कोर्ट यह मानने के लिए मजबूर होगा कि सरकार इस मामले में संगीन नहीं है। इसके बाद कोर्ट हुक्म देगा और सीनियर अफसरों को हर सुनवाई में हाजिर होना होगा। चीफ जस्टिस ने सरकार को चार हफ़्ते के अंदर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

झारखंड के नक्सल मसला झेल रहे गुमला जिले में नक्सलियों की तरफ से 35 बच्चों को उठा कर ले जाने के मामले में बुध को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस बीरेंद्र सिंह और जस्टिस पीपी भट्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार के काम करने के तरीके पर नाराजगी जताई। सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल ने बताया कि गुमला में नक्सली 29 बच्चों को उठा कर ले गए थे। इसमें 12 बच्चों को वापस करा लिया गया है। 17 बच्चों की खोज चल रही है। इस पर चीफ जस्टिस ने तब्सिरह करते हुए कहा-8 महीने से बच्चों को खोज रही है सरकार, फिर भी पता नहीं चल रहा है। इससे साफ होता है कि इस मामले में सरकार संजीदा नहीं है। बंद कर दें कैंपेन, अगर नहीं कर सकते नक्सल मसला को दूर. चीफ जस्टिस ने कहा कि नक्सल मुतासिर इलाके में रुक-रुक कर पुलिस मुहीम चलाती है। ऐसा मुहीम चलाने से क्या फायदा है जब नक्सल मसला दूर ही नहीं हो रही है तो ऐसे मुहीम को बंद कर देना चाहिए।