सियासत संवाददाता नई दिल्ली: दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर पद से इस्तीफा देने के बाद नजीब जंग का नाम अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर नियुक्ति को लेकर जोर-शोर से चल रहा हैं.
बता दें कि अमुवि में वर्तमान कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) ज़मीरुद्दीन शाह का कार्यकाल मई २०१७ में पूरा हो जायेगा. एएमयू ने नए कुलपति के चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी हैं. आने वाली २८ जनवरी को विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक होनी हैं. कार्यपरिषद पांच नामो का पैनल बना कर आगे अमुवि की सर्वोच्च संस्था अमुवि कोर्ट को भेजती हैं. उसके बाद कोर्ट उस पैनल में से तीन नाम का पैनल आगे विजिटर को भेजता हैं. विजिटर यानि भारत के राष्ट्रपति इस मामले पर फाइनल फैसला लेतें हैं और किसी एक का चयन करते हैं.
इधर एएमयू में कुलपति के चयन को लेकर मामला अदालत तक पहुच गया था. विवाद तब हुआ जब यू जी सी के नए निर्देश कि कुलपति पद पर कम से कम १० वर्ष का प्रोफेसर की हैसियत से एक्सपीरियंस हों. ऐसे में पद केवल कोई शिक्षाविद ही कुलपति बन सकता हैं. लेकिन अमुवि का अल्पसंख्यक दर्जा का मामला भी अभी अदालत में है इसीलिए इस मामले पर कोई ठोस कहा नहीं जा सकता.
दूसरी ओर क्षेत्रवाद से जूझ रही अमुवि में अलग अलग लाबिंग होती रहती हैं. हर ग्रुप अपना मनपसंद कुलपति चाहता हैं. वर्तमान में सूत्रों की माने तो कम से कम तीन अमुवि के प्रोफेसर भी कुलपति बनने की दौड़ में शामिल हैं.
नजीब जंग का नाम इस दौड़ में चलने से अमुवि में हलचल है. लोग अभी से उनके सख्त तेवर की बात करने लगे हैं. अमुवि में आमतौर पर शिक्षंक संघ कुछ दिनों के बाद कुलपति के खिलाफ हो ही जाता हैं, इसीलिए अभी से लोग गुणा-भाग में लग गए हैं. एक वर्ग ये भी चाहता हैं की सख्त कुलपति होना चाहिए जो कैंपस से अराजकता ख़तम कर सके. शिक्षक वर्ग हालांकि बहुत सख्त कुलपति के पक्ष में कभी नहीं रहा. नजीब जंग का नाम उछलने से चर्चाओ का बाज़ार कैंपस में गर्म हैं.
उधर इस बार ऐसा होगा की भाजपा की सरकार में अमुवि का कुलपति चुना जायेगा. इसीलिए काफी उत्सुकता भी हैं कि कौन कुलपति बन कर आता हैं. सरकार पहले भी अमुवि कोर्ट के सदस्य के रूप में अपने कई सांसद नामित कर चुकी हैं.
एएमयू में आमतौर पर क्षेत्रवाद और भाई भतीजावाद अक्सर हावी रहता हैं. नियुक्ति से लेकर प्रवेश में भी लोग कई बार ऊँगली उठ चुकी हैं. वैसे अब समय आ चूका है जब अमुवि को अपना दायरा विस्तृत करना होगा और हर मामले को अल्पसंख्यक स्वरुप से ऊपर उठकर देखना पड़ेगा. फिलहाल कैंपस में नजीब जंग को ले कर बातो की जंग जारी हैं.