पहले भी इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके हैं नजीब जंग, मोदी ने किया था मना

गुरुवार को दिल्ली के उपराज्यपाल के अचानक इस्तीफा देने के बाद आज नजीब जंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। जानकारी के मुताबिक पीएमओ में हुई मुलाकात करीबन डेढ़ घंटे तक चली जिसके बाद ऐसी खबरें आ रही है उनकी इस्तीफा अभी तक मंजूर नहीं हुआ है क्योंकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी दिल्ली से 10 दिन के लिए बाहर है।

इस बीच जंग ने कहा है कि जब बीजेपी की सरकार लोकसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आई थी, तभी उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन पीएम मोदी ने उन्हें अपने पद पर बने रहने के लिए कहा था। नजीब ने कहा कि उन्होंने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर भी इस्तीफे की पेशकश की थी।

जंग ने 9 जुलाई, 2013 को दिल्ली के उपराज्यपाल का पदभार ग्रहण किया था, जब कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार सत्ता में थी। नरेंद्र मोदी सरकार ने भी सत्ता में आने के बाद उन्हें इस पद पर बनाए रखा, हालांकि उन्होंने अधिकांश राज्यों के राज्यपालों को बदल दिया था।

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जंग पर इस्तीफे का कोई दबाव नहीं था। हालांकि, उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया जाएगा। फिलहाल, राष्ट्रपति भी दिल्ली से बाहर हैं इसलिए जब तक उनका इस्तीफा आधिकारिक तौर पर मंजूर नहीं होता है, नजीब जंग एलजी के पद पर बने रहेंगे।

नजीब जंग की तरफ से इससे पहले इस्तीफे के कोई संकेत नहीं मिले थे इसलिए उनके अचानक इस्तीफा देने से सियासी गलियारों में हैरानी है. इस दौरान कयास यह भी लगाए जा रहे थे कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच खींचातानी भी इस्तीफे की वजह हो सकती है. लेकिन  जंग के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनका उपराज्यपाल के पद से इस्तीफा भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी की आपसी खींचतान के कारण नहीं दिया गया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी कहा है कि नजीब जंग ने निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया है।

जंग के मुताबिक, वह अपनी 95 साल की मां को ज्यादा से ज्यादा वक्त देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया। इसी के साथ ही उन्होंने एक किताब भी लिखने की बात कही है।