हनमकुंडा, 15 फरवरी: जलसा सीरते हादिये आज़म मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) रॉयल फंक्शन हाल हनमकुंडा बड़े तज़क-ओ-एहतिशाम के साथ अमल में आया। आयाते रब्बानी की तिलावत के बाद जनाब शेख बंदगी ने इफ़्तिताही कलिमात पेश किए। बादअज़ां मौलाना मुहम्मद फ़सीहुद्दीन ने हुज़ूरे अकरम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के अख़लाक़े करीमाना के मुख़्तलिफ़ पहलुओं पर रोशनी डालते हुए कहा, क़ुरआने हकीम इस बात की शहादत दे रहा है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अख़लाक़ के बुलंद तरीन मरतबे पर फ़ाइज़ हैं।
आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की ज़ाते अक़्दस इंसानियत के लिए रहमत ही रहमत है। जब आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ऊंट पर सवार मक्का मुकर्रमा में फ़ातिहाना अंदाज़ में नहीं बल्कि अजुज़-ओ-अकसारी का जज़बा लिए हुए सर मुबारक झुका हुआ है दाख़िल होते हैं तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के सामने वो तमाम अफ़राद मौजूद थे जो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को तकलीफों पर तकलीफें दे रहे थे।
आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उन से मुख़ातिब होकर फ़रमाया तुम्हें मालूम है, कि आज में तुम्हारे साथ किया मामला करने वाला हूँ। मजमे पर एक सन्नाटा छागया, तमाम अफ़राद पर सकता तारी होगया। उस वक़्त ज़ुबान मुबारक से ये अलफ़ाज़ अदा हो रहे थे। आज बदले का दिन नहीं बल्कि माफ़ी और रहमो करम का दिन है।
जनाब साबिर आलम ने कहा कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की दुनिया में तशरीफ़ आवरी दरहक़ीक़त इंसानियत की फ़लाह-ओ-बहबूद की ज़ामिन है। चूँकि आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के अख़लाक़े हसना की वजह से अमीर, गरीब छोटा बड़ा, आक़ा, ग़ुलाम, हाकिम, मह्कूम सब एक ही सफ़ में खड़े होगए हैं। खातिमुलाम्बिया (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का इरशादे गिरामी है।
हम सब आदम ओर हव्वा की औलाद हैं जिस की वजह से सब आपस में भाई भाई हैं। हमारा ये फ़र्ज़ बन्ता है कि हम बिरादराने वतन में आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के लाए हुए पैग़ाम को आम करके ख़ुलूस-ओ-मुहब्बत और भाई चारा के जज़बात को प्रवान चढ़ाएं। जनाब मलिक मोतसिम ख़ान ने कहा कि नबीकरीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से मुहब्बत दीने हक़ की पहली शर्त है। आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से मुहब्बत अमान की अलामत है।