नबी करीम स० अ० की सुन्नत और दीनी ज़रूरत

कामा रेड्डी, २९ दिसम्बर: ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ )ज़िला मेदक के इबराहीम पूर, चह गंटा मंडल में वाक़्य इबराहीम पूर के मौज़ा में मुदर्रिसा के क़ियाम की निसबत से हाज़िरी हुई यहां मस्जिद की ख़सताहाली देख कर हज़रत इबराहीम अलैहिस्सलाम की याद ताज़ा हो गई, जिन को अल्लाह ने अपने घर की तामीर के लिए मुंतख़ब फ़रमाया था, आज उन्ही के नाम से मौसूम इस गांव की मस्जिद गेरा बाद है, उस की छत दसियों साल से गिरी हुई औरवह वीरान है जबकि मुस्लमान यहां आबाद हैं, कितनी अजीब बात है, हदीस शरीफ़ में आता है कि मस्जिद दुआ करती है कि ऐ अल्लाह! जिस ने मुझे आबाद किया तो इस को आबाद कर और जिस ने मुझे वीरान किया तो इस को वीरान कर दी, हुज़ूर स० अ० वसल्लम ने हिज्रत के बाद अपने घर से पहले मस्जिद तामीर करवाते हुए उमत कोय पैग़ाम दिया कि मुस्लमान सब से पहले अपने दीन की फ़िक्र करें और अल्लाह का घर और मदर्सा तामीर करें, बहुत देर बाद ही सही कुछ अहबाब की फ़िक्र से आप हज़रात ने मदर्सा के क़ियाम की फ़िक्र की देर आयद दरुस्त आयद का मिस्दाक़ है, अब इस इदारा से मुहब्बत रखें और इस की तरक़्क़ी की फ़िक्र करें,इन ख़्यालात का इज़हार अपने सदारती ख़िताब में मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद
ग्यासउद्दीन रहमानी क़ासिमी सदर जमईतुल उलमाएँ हिंद आंधरा प्रदेश वमहतमम मदर्सा इस्लामीया दार-उल-उलूम रहमानीह, हैदराबाद ने किया जो मौज़ा इबराहीम पर,चीगंटा मंडल, ज़िला मेदक में मदर्सा सैयदना अबूबकर सिद्दीक़ ओके इफ़्तिताह और इस मौज़ा की ग़ैर आबाद मस्जिद की तामीर-ओ-तज़ईन से मुताल्लिक़ मुनाक़िदा जलसा से ख़िताब कर रहे थें।इस मौक़ा पर मेहमान ख़ुसूसी की हैसियत से ख़िताब करते हुए मौलाना शफ़ी नक़्शबंदी , ख़लीफ़ा हज़रत पीर ज़ुल्फ़क़ार नक़्शबंदी ने कहा कि हुज़ूर

स० अलैहि वसल्लम पर जब नूर-ए-इलाही और वही-ए-इलाही का नुज़ूल होना शुरू हुआ तो आप सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम ने सब से पहले मकतब और मदर्सा की बुनियाद रखी, जो मक्का मुकर्रमा में दार-ए-अर्क़म था और जब मदीना मुनव्वरा हिज्रत फ़रमाई तोसफ़ा के नाम से मदर्सा की बुनियाद रखी, मदारिस का क़ियाम दीन की ज़रूरत भी है और नबी करीम स० अ० अलैहि वसल्लम की सुन्नत भी, हुजूर ने फ़रमाया कि जिस सीने में क़ुरआन हो उस को आग नहीं जलाएगी; माँ बाप की ज़िम्मेदारी है कि वो अपनी औलाद की तर्बीयत और बेहतरीन तालीम की फ़िक्र करें , मौलाना मुफ़्ती महमूद ज़ुबैर क़ासिमी ने कहा बाअज़ लोग इस वजह से मदारिस में अपने बच्चों को दाख़िल करवाने से घबराते हैं कि कल उन के मआश का क्या होगा उन की रोज़ी रोटी का क्या बनेगा,हालाँकि ये हक़ीक़त है कि मुआशरा में उलूम ए दीनीया से वाबस्ता हज़रात उल्मा की बेरोज़गारी की शरह सिफ़र है,जो ख़ुदा पूरी कायनात को रिज़्क से नवाज़ रहा हो वो क्या अपने दीन की ख़िदमत और अपने नाम की सरबुलन्दी में मसरूफ़ लोगों को बेरोज़गारी की नज़र कर देगा?उन्हों ने कहा कि अल्लाह ने रोज़ी रोटी तालीम या मेहनत पर नहीं बल्कि मुक़द्दर की बुनियाद पर रखी है और ये चीज़ मुशाहिदा और तजुर्बा से साबित है कि दीनी उलूम से वाबस्ता अफ़राद में सलाहीयतें आम अफ़राद के मुक़ाबला ज़्यादा होती हैं,उन्हों ने कहा कि हर ख़ानदान में कम अज़ कम एक आदमी उलूम ए दीनीया से आरास्ता हो उसको मदर्सा में दाख़िल करवाएं,इस मौक़ा पर इफ़्तिताही कलिमात हाफ़िज़ शरीफ़ साहिब ने कहे जबकि हाफ़िज़ फ़हीम उद्दीन मनेरी सदर मजलिस तहफ़्फ़ुज़ ख़तन नबुव्वत कामा रेड्डी और हाफ़िज़ अबदुल्लाह नाज़िम मदर्सा अबूबकर सिद्दीक् र० ज० ने इंतिज़ामात का एहतिमाम किया,इस मौक़ा पर अतराफ़-ओ-अकनाफ़ के मवाज़आत के अवाम की भी कसीर तादाद शरीक थीं।