नई दिल्ली: गंगा नदी के कायाकल्प के लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई नमामी गंगे परियोजना को लेकर कैग की रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि स्वच्छ गंगा मिशन के लिए आवंटित किए गए 2600 करोड़ से अधिक का सरकार उपयोग ही नहीं कर सकी. गंगा की सफाई के लिए नेशनल मिशन के लिए आवंटित 2133.76, 422.13 करोड़ और 59.28 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए जा सके. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 46 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, इंटरसेप्शन एंड डायवर्सन प्रोजेक्ट्स और नहर परियोजनाओं की लागत 5,111.36 करोड़ रुपये थी. 2,710 करोड़ रुपये की लागत वाली 26 परियोजनाओं में देरी की गई. इसकी वजह भूमि नहीं होना और ठेकेदारों का धीमी गति से काम करना रहा.
इससे पहले सूचना के अधिकार से खुलासा हुआ था कि सरकार द्वारा बीते तीन सालों में 12 हजार करोड़ रुपये का बजट देने की बात कही गई, जिसमें से वास्तव में केवल 5378 करोड़ रुपये ही बजट में दिए गए. बजट में जारी 5378 रुपये में से केवल 3633 करोड़ रुपये खर्च के लिए निकाले गए और इसमें से केवल 1836 करोड़ 40 लाख रुपये ही वास्तव में खर्च किए गए.
इस योजना में वित्तीय वर्ष 2014-15 में गंगा सफाई के लिए 2053 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया, जिसमें से महज 326 करोड़ रुपये जारी किए गए. इसमें से केवल 170 करोड़ 99 लाख रुपये ही खर्च हो पाए. इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2015-16 में 1650 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया, जिसमें से 1632 करोड़ रुपये जारी किए गए और केवल 602 करोड़ 60 लाख रुपये ही खर्च हो पाए. वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1675 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया, लेकिन केवल 1062 करोड़ 81 लाख रुपये ही खर्च किए जा सके हैं.