नया पुल से शाह अली बंडा बाज़ारों में ज़बरदस्त गहमा गहमी

नुमाइंदा ख़ुसूसी- दोनों शहरों बिलख़सूस हैदराबाद में ईद की तैय्यारीयां ज़ोर-ओ-शोर से जारी हैं। रमज़ान उल-मुबारक के चंद दिन ही बाक़ी रह गए हैं। रोज़ों-ओ-इबादात का ये बाबरकत महीना बड़ी तेज़ी से गुज़र रहा। कब दिन होरहा है और कब रात हो रही है इस का एहसास ही नहीं हो रहा है।

बस वक़्त तेज़ी के साथ गुज़रता जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि लोग कल तक रमज़ान उल-मुबारक के चांद के मुंतज़िर थे और अब ईद का चांद देखने की तैय्यारीयां कर रहे हैं। शहर के बाज़ारों में हर रमज़ान उल-मुबारक की तरह इस मर्तबा भी रौनक दोबाला होगई है।

नया पुल ता शाह अली बंडा ज़बरदस्त गहमा गहमी है। सुबह ही से बाज़ारों में इतनी चहल पहल है कि इन रास्तों से बड़ी गाड़ियां तो दौर की बात है मोटर साईकलों का गुज़रना तक मुश्किल हो गया है। ए। चूँकि बाज़ारों में काफ़ी गहमा गहमी है। रहज़न-ओ-सारेक़ीन(चोरों) मौक़ा की ताक में रहते हैं।

ख़वातीन और लड़कीयां जे़वरात पहन कर हरगिज़ बाज़ार ना जाएं। वो बहुत ज़रूरी हो तो मस्नूई जे़वरात या immetation jewellery का इस्तिमाल कर सकती हैं। परसों और मोबाईल फोन्स का ख़ास ख़्याल रखें और बुर्क़ा के जेबों में नक़द रक़म रखने से गुरेज़ करें।

अगरचे पुलिस ने ग़ैर मामूली इंतिज़ामात किए हैं और सादा लिबास में मलबूस पुलिस मुलाज़मीन को जगह जगह मुतय्यन करदिया गया है इस के बावजूद रमज़ान उल-मुबारक की बरकतों-ओ-फ़ज़ीलतों से नावाक़िफ़ नौजवान ख़रीदारी के बहाने लड़कीयों-ओ-ख़वातीन से छेड़छाड़ के लिए बाज़ारों का रुख कर रहे हैं।

हद तो ये है कि बड़ी बेशरमी से इस तरह के नापसंदीदा अनासिर ख़वातीन के क़रीब से गुज़रते हैं। इन सड़क छाप फ़र्हादों से दुकानदार और ख़रीदार दोनों परेशान हैं। ख़रीदारी के लिए जाना ही हो तो ख़वातीन को चाहीए कि वो अपने शौहर, बाप भाई या बेटे के साथ मार्किट का रुख करें।

बाअज़ दुकानदारों ने भी अपनी दुकानात के बाहर पोस्टर्स आवेज़ां करते हुए ख़रीदारों को चौकस रहने की हिदायात दी हैं। बताया जाता है कि बाज़ार में गहमा गहमी को देखते हुए पाकिटमार फ़ायदा उठारहे हैं। सेल फोन्स के सरका तो आम होगए हैं।

दुकानदारों ने राक़िमउल-हरूफ़ को बताया कि ख़रीदारों का हुजूम सुबह की अव्वलीन साअतों तक रहता है। इन में वो ख़रीदार भी शामिल हैं जो दीगर रियास्तों से हैदराबाद आए हैं।

ज़रूरत इस बात की है कि अवाम पूरी एहतियात के साथ बाज़ार जाएं। क्योंकि थोड़ी सी ग़फ़लत आप को परेशान-ओ-मायूसी में मुबतला कर सकती है।