हुकूमत ने साबिक़ सदर नशीन टेलीकॉम रैगूलेटरी अथॉरीटी नरपेन्दर मिश्रा को वज़ीर आज़म का प्रिंसिपल सेक्रेटरी मुक़र्रर करने से मुताल्लिक़ तनाज़ा को अहमियत देने से इनकार करदिया है और कहा कि कांग्रेस ने गैर ज़रूरी ये मसला उठाया है।
पार्लीमानी उमूर के वज़ीर वैंकया नायडू ने नामा निगारों से बात चीत करते हुए कहा कि ये कोई मसला ही नहीं है। ये कोई तनाज़ा ही नहीं है। अपोज़ीशन के पास कोई मसला नहीं है इसलिए उसे मौज़ू बनाया जा रहा है। कांग्रेस ने हुकूमत की जानिब से नरपेन्दर मिश्रा के तक़र्रुर के लिए आलामिया की इजराई पर तन्क़ीद की थी।
टेलीकॉम रैगूलेटरी अथॉरीटी क़वानीन के मुताबिक़ मिश्रा कोई ओहदा हासिल नहीं करसकते। नायडू ने कहा कि इस ताल्लुक़ से जो साबिक़ा क़वानीन हैं वो नक़ाइस से भरपूर हैं और मिश्रा को उनकी मुसाबक़त और रेकॉर्ड को देखते हुए ये ओहदा दिया गया है। टेलीकॉम रैगूलेटरी अथॉरीटी क़ानून 1997 के तहत अथॉरीटी के सदर नशीन और अरकान अपने ओहदा से सबकदोश होने के बाद किसी भी मर्कज़िया रियासत में कोई ओहदा हासिल नहीं करसकते।
हुकूमत पर तन्क़ीद में कांग्रेस लीडर मनीष तेवारी ने कहा कि उनके तक़र्रुर के लिए आर्डीनेंस की इजराई का तरीका कार ग़लत था क्यों कि अब पार्लियामेंट का इजलास होने ही वाला है।