नरेंद्र मोदी केलिए शदीद दबाव वाले केस में जो सदर कांग्रेस सोनिया गांधी के बैरूनी दौरों और सफ़री अख़राजात पर आने वाले मसारिफ़ पर सवालात उठाए हैं। हक़ मालूमात क़ानून के तहत गुजरात के एक समाजी कारकुन ने इल्ज़ाम आइद किया कि रियासती हुकूमत उन्हें चीफ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी और उन के वुज़रा के पिछले पाँच साल के सफ़री बिलों की तफ़सीलात फ़राहम करने इनकार कर दिया है।
वदोधरा की आर टी आई कारकुन तिरुपति शाह ने मोदी कोएक मकतूब रवाना किया और कहा कि इन के और उन के वुज़रा(मंत्रि) के सफ़री अख़राजात से मुताल्लिक़ मालूमात फ़राहम की जाएं। ख़ासकर ख़वातीन को बाइ ख़ित्ते अर बनाने वाले सम्मेलन में शिरकत के दौरान इस्तेमाल करदा हेली कैपटरस के बिलों को पेश करने का मुतालिबा किया गया था ।
हुकूमत ने आज तक ये तफ़सीलात फ़राहम नहीं की है । तिरुपति शाह ने कहा कि उन्हों ने 18 जुलाई 2007 को हक़ मालूमात क़ानून के तहत एक दरख़ास्त दाख़िल की थी जिस में उन्हों ने रियासती हुकूमत की तरफ से किए गए मसारिफ़ की तफ़सीलात मांगी थीं। उन्हों ने बताया कि सिर्फ 2007 मे रियासत भर में 27 मुक़ामात पर सम्मेलन मुनाक़िद किए गए थे ।
चीफ मिनिस्टर ने 2007 में असैंबली इंतिख़ाबात(चुनाव) से पहले ख़वातीन केलिए मुहिम चलाई थी इस केलिए मसारिफ़ के बारे में जब दरख़ास्त दी गई तो कोई जवाब नहीं आया । उन्हों ने रियासती हुकूमत के जी ए डी को भी ख़त लिखा था । एक नवंबर 2007 के मकतोबर में किया गया था कि उन्हें 10 मार्च 2007 ता 20 सितंबर 2007 के दौरान 27 मुक़ामात पर मोदी के सफ़र की फ़हरिस्त फ़राहम की जाय लेकिन हुकूमत ने अब तक उन्हें ये फ़हरिस्त फ़राहम हैं की है ।
अलबत्ता सफ़री अख़राजात से मुताल्लिक़ उन के मकतूब(खत) पर ये कहा गया कि चीफ मिनिस्टर के दफ़्तर ने सफ़री अख़राजात का इन्किशाफ़ नहीं किया है । लिहाज़ा चीफ मिनिस्टर के सफ़री अख़राजात सिफ़र समझे जाएं। इस आर टी आई कारकुन ने तिरुपति शाह ने मज़ीद कहा कि हुकूमत का ये बयान मुज़हका ख़ेज़ है । इस के जवाब में उन्हों ने 20 नवंबर 2 007को एक और मकतूब(खत) लिखा और उन एजंसियों का नाम बताने की ख़ाहिश की जिन की तरफ से मसारिफ़ बर्दाश्त किए गए हैं ।