नरेंद्र मोदी को अपनी साख बरक़रार रखने स्वामी विवेकानंद का सहारा

अहमदाबाद, १९ सितंबर ( पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म गुजरात नरेंद्र मोदी ने सयासी हथकंडा अपनाते हुए अपनी इंतिख़ाबी मुहिम ( चुनावी योजना) को रुहानी पेशवा स्वामी विवेकानंद पर मर्कूज़ रखा है ताकि बैयकवक़्त अपनी हिन्दूत्तवा शबीहा को क़ायम रखने और दीगर अक़्वाम तक रसाई ( पहुँच) को मुम्किन बनाया जा सके ताकि उन्हें क़ौमी ( राष्ट्रीय) सतह पर एक काबिल लीडर की हैसियत से तस्लीम कर लिया जाय ।

बहरहाल अगर नरेंद्र मोदी ख़ुद को होशियार समझते हैं तो अपोज़ीशन भी किसी से कम नहीं । इससे मोदी के इन हथकंडों सयासी मुफ़ाद (फायदा) हासिल करने की कोशिश क़रार दिया है । याद रहे कि मोदी ने एक माह तवील एक सयासी यात्रा का एहतिमाम किया है जिस का नाम स्वामी विवेकानंद युवा विकास यात्रा है ।

इस तरह वो रियासत के हर छोटे बड़े इलाक़े में यूथ कनवेनशंस से ख़िताब करते हुए अपनी सयासी इस्लाहात के बारे में लोगों को आगाह कर रहे हैं जिस के लिए उन्होंने अपने ट्वीटर का इस्तेमाल भी जारी रखा है । अपने ट्वीटर एकाउंट पर वो रोज़ाना की बुनियाद पर अपनी कारकर्दगी का ज़र (वरक़) करते हैं जिस ने उन के नाक़िदीन को भी हवास बाख्ता कर दिया है क्योंकि वो इस बात पर सख़्त नाराज़ हैं कि नरेंद्र मोदी रुहानी पेशवा ( महान) स्वामी विवेकनंद के नाम का ग़लत इस्तेमाल कर रहे हैं ।

अपोज़ीशन के मुताबिक़ स्वामी विवेकानंद ने अपने आप को अपनी ज़िंदगी में कभी सयासी सरगर्मीयों से वाबस्ता नहीं किया हालाँकि 18वीं सदी में अमेरीका से वापसी के बाद स्वामी विवेकानंद सयासी हलक़ों ( राजनीतिक दलों) में बेहद मक़बूल थे । स्वामी विवेकानंद हालाँकि सैक्यूलर नज़रियात के हामिल थे लेकिन इसके बावजूद उन्हें असरी ज़माने के हिंदू मज़हब के बेहतरीन मुबल्लग़ीन में शुमार किया जा सकता है ।

नरेंद्र मोदी ने अपनी यात्रा में इस्तिमाल किए जाने वाले रथ के आगे स्वामी विवेकानंद का एक मुजस्समा ( मूर्ती) भी लगा रखा है । यही नहीं बल्कि जिस बस को रथ में तबदील किया गया है उसे भी ख़ूबसूरत रंगों से पेंट किया गया है ।