नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट की इत्तेला पर मायूसी हुई

अहमदाबाद, १० फरवरी (पी टी आई) गुजरात में माबाद गोधरा फ़सादात के सिलसिले में नरेंद्र मोदी और दीगर के ख़िलाफ़ शिकायात दर्ज कराने वाली ख़ातून ज़किया जाफरी ने कहा कि उन्हें ज़राए इब्लाग़ से मिलने वाली इन इत्तेलात पर शदीद मायूसी हुई कि सुप्रीम कोर्ट की जानिब से नामज़द कर्दा एस आई टी ने नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दी है।

उन्होंने अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एस आई टी) को तमाम हक़ायक़ से वाक़िफ़ कराया गया और इस के बाद भी ऐसी रिपोर्ट पेश की गई। ज़किया जाफरी के शौहर एहसान जाफरी के बिशमोल 69 अफ़राद को गुलबर्ग हाउजिंग सोसाइटी फ़सादाद में हलाक कर दिया गया था। ज़किया जाफरी ने कहा कि वो वुकला से मुशावरत के बाद आइन्दा के लायेहा-ए-अमल के ताल्लुक़ से फ़ैसला करेंगी।

ज़किया जाफरी ने नरेंद्र मोदी और दीगर के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी जिस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तहक़ीक़ात के लिए एस आई टी को ज़िम्मेदारी तफ़वीज़ की थी। एस आई टी ने कल एक मुहरबंद लिफाफे में मजिस्ट्रेट के रूबरू अपनी क़तई रिपोर्ट पेश कर दी।

अगरचे टी वी चैनल्स का ये कहना है कि एस आई टी ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ ऐसे कोई ठोस शवाहिद नहीं पाए जाते जिनकी बिना क़ानूनी कार्रवाई की जा सके ताहम सरकारी तौर पर ऐसा कोई ऐलान नहीं किया गया कि चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई।

ज़किया जाफरी ने अपनी शिकायत में नरेंद्र मोदी के इलावा दीगर 57 अफ़राद के ख़िलाफ़ फ़िर्कावाराना फ़सादाद में मदद और तशद्दुद भड़काने के इलावा फ़सादीयों को उकसाने की बिना क़ानूनी चाराजोई की ख़ाहिश की थी। 2002 गुजरात फ़िर्कावाराना फ़सादाद में तक़रीबन 1200 अफ़राद हलाक हो गए जिन में अक्सरीयत मुस्लमानों की है।

इस दौरान मजेस्ट्रीयल अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के नामज़द एस आई टी को नोटिस जारी की है, जबकि समाजी कारकुन तीस्ता सीतलवाद ( Teesta Setalvad) और मुकुल सिन्हा ने दो अलैहदा दरख़ास्तें दाख़िल करते हुए ज़किया जाफरी मुक़द्दमा में एस आई टी की पेश कर्दा रिपोर्ट की नक़ल तलब की है। मेट्रोपोलेटिन मजिस्ट्रेट एम एस भट्ट ने एस आई टी को नोटिसें जारी करते हुए मुआमले की अगली समाअत 13 फरवरी को मुक़र्रर की है।

गुज़श्ता साल 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2002फ़सादाद से निमटने के मुआमले में नरेंद्र मोदी की बे अमली पर कोई हुक्म जारी करने से इनकार करते हुए ये मुआमला मुताल्लिक़ा मजिस्ट्रेट की अदालत पर छोड़ दिया था और कहा था कि वो एस आई टी रिपोर्ट की बुनियाद पर मोदी के ख़िलाफ़ किसी कार्रवाई के बारे में फ़ैसला करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने मज़ीद कहा था कि अगर मजिस्ट्रेट नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ क़ानूनी चाराजोई ना करने का फ़ैसला करते हैं तो ऐसी सूरत में उन्हें ज़किया जाफरी की दरख़ास्त की समाअत करनी होगी।

ज़किया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि साबिक़ सी बी आई सरबराह आर के राघवन की ज़ेर-ए-क़ियादत एस आई टी के ज़रीया तमाम इल्ज़ामात की मूसिर तहक़ीक़ात की जानी चाहीए। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में तहक़ीक़ात की ज़िम्मेदारी एस आई टी के सपुर्द की जिस ने 2011 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी।