नरेंद्र मोदी को वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रिमंडल कोर्ट) का उम्मीदवार बनाने राम जेठ्मलानी की सलाह

बी जे पी मे उमीद की किरणें फैलाते हुए राम जेठमलानी ने चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी को आइन्दा लोक सभा चुनाव‌ मे वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रिमंडल कोर्ट) का उम्मीदवार बनाने पर ज़ोर हिमायत की है। सदर बी जे पी नितिन गडकरी को रवाना करदा खत‌ मे उन्हों ने कहाकि बी जे पी अपने वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रिमंडल कोर्ट) के उम्मीदवार का ऐलान करे ताकि उसे 2014 के चुनाव‌ की मुहिम में राय दहिंदों को राज़ी कराने मे मदद मिल सके।

बी जे पी अगर अपने वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रालय कोर्ट) का अभी से ऐलान करदेगी तो आगे चल कर उसे कोई मुश्किल नहीं होगी। राज्य सभा रुकन राम जेठमलानी ने अपने दो पन्नों के खत‌ मे लिखा है कि मे नहीं समझता कि वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रालय कोर्ट) के उम्मीदवार का चुनाव‌ एक मुश्किल मरहला है।

मैं ये कहना चाहूंगा कि चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रालय कोर्ट) के लिए मौज़ूं(लायक़) उम्मीदवार हैं। इन मे हुक्मरानी की सलाहीयतें बेहतरीन हैं और बिलाशुबा उन की कारकर्दगी और नज़म-ओ-नसक़ की ख़ूबीयों से कोई इनकार नहीं करसकता।

पार्टी ने वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रिमंडल कोर्ट) के मसले को अगर पीछे नहीं डाला है लेकिन इस आला ओहदे केलिए कई दावेदार मौजूद हैं। राम जेठमलानी के खत‌ में ये भी कहा गया है कि वो हालिया क़ौमी आमिला के सूरज खंड बैठक मे शिरकत करना चाहते हैं लेकिन उन्हें मदऊ(आमंत्रित/invite) नहीं किया गया।

नरेंद्र मोदी के हक़ में इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए उन्हों ने कहाकि उन्हें अक़ल्लीयतों(गरीबों) का दुश्मन क़रार देते हुए उन के सयासी मुस्तक़बिल(भविष्य) को नुक़्सान पहूँचाने की कोशिश की गई है। वो मुख़ालिफ़ीन(विरोधियों/दुशमनो) के गुमराह करने प्रोपगंडा से मुतास्सिर(प्रभावित) हुए हैं। इन के ख़िलाफ़ पाए जाने वाले ग़लत तास्सुर को दूर करना आसान है।

हर मुतमन्नी उम्मीदवार को चाहीए कि वो अपने काम के तईं संजीदगी(प्रति गंभीरता) का मुज़ाहरा करे और अपनी नाकामियों और ख़राबियों का अंदाज़ा करे। अक़ल्लीयतों(गरीबों) का हवाला देते हुए उन्हों ने कहाकि मुस्लमानों को मुकम्मल सिक्युरिटी और मौक़े का तीक़न दिया जाना चाहीए।

इन की ख़ुशहाली और तरक़्क़ी के लिए उन्हें बेहतर से बेहतर मौके फ़राहम किए जाने चाहिऐं। पुरानी ग़लतीयों को दरगुज़र और फ़रामोश करदेना ज़रूरी है। अक़ल्लीयतों(गरीबों) का एहतिराम और उन्हें एतिमाद(विशवास‌) मे लेना बहुत ज़रूरी है। मुस्लमानों का एतिमाद(विशवास‌) हासिल किए बगै़र कोई पार्टी आगे नहीं बढ़ सकती।

जब उन से पूछा गया कि आया नितीन गडकरी भी वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रिमंडल कोर्ट) की दौड़ में शामिल हैं, उन्हों ने कहाकि मे ज़ाती तौर पर समझता हूँ कि इस ओहदे केलिए मोदी ही मुनासिब और तरजीही उम्मीदवार हैं। राम जेठमलानी ने मज़ीद कहाकि नरेंद्र मोदी अपनी कारकर्दगी और यकजहती के माअनों में कई अफ़राद के ज़िम्मेदार शख़्स बने हैं।

उन्हों ने ये भी कहाकि चुनाव‌ से पहले वज़ारत-ए-उज़मा(मंत्रिमंडल कोर्ट) के उम्मीदवार का ऐलान करना पार्टी के लिए ज़रूरी है ताकि पेशगी तौर पर ही एक ख़्याली काबीना तशकील दी जा सके। दरहक़ीक़त इस तरह की काबीना वाज़िह अह्द करसकती है कि हमारी काबीना का एक तिहाई हिस्सा ग़ैर सयासी माहिरीन पर मुश्तमिल होगा और ये लोग मुल़्क की बागडोर बेहतर तरीक़े से सँभाल सकेंगे। उन्हों ने कहाकि आइन्दा दो साल मे बी जे पी की चुनाव‌ मुहिम के दौरान रिश्वत सतानी और अस्क़ामस के अलावा यू पी ए हुकूमत की ख़राबियों को आशकार किया जाएगा