आइंदा लोकसभा इंतेखाबात के लिए वज़ीर ए आज़म के ओहदे का उम्मीदवार ऐलान होने के बाद बीजेपी लीडरों ने नरेंद्र मोदी को फूलों की मालाओं से लाद दिया, लेकिन इन मालाओं के साथ उनके सिर पर एक ऐसा ताज भी पहनाया गया जिसे किसी ने देखा तो नहीं, लेकिन महसूस सभी ने किया। वह ताज कांटों भरा है।
इस कांटों भरे ताज में मोदी के सामने अब ढेरों चुनौतियां छिपी हैं। सबसे बड़ी चुनौती मरकज़ की सत्ता से बाहर बीजेपी को दिल्ली का तख्त दिलाने की है। इसके लिए बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 273 का आंकड़ा पार करना है।
इस आंकड़े को पाने के लिए उन्हें लोकसभा में बीजेपी की झोली में कम से कम 200 सीटें दिलानी होंगी व एनडीए की तौसीअ कर नए साथी तलाशने होंगे। जबकि गुजरात के दंगों की वजह से मोदी के नाम पर बीजेपी के लिए अब नये साथी जुटाना भी आसान काम नहीं है।
मोदी के नाम पर बिहार में बीजेपी का सबसे काबिल ए एतेमाद साथी जदयू पहले ही अलग राह चल पड़ा है। हालांकि बीजेपी का दावा है कि मोदी के नाम पर मुल्क भर में लहर है और पार्टी लोकसभा इंतेखाबात में 200 का आंकड़ा पार कर लेगी।
मोदी तो अब तक गुजरात की सरहद के अंदर ही सियासी पारी खेलते रहे हैं, लेकिन अब वे उन्हें पूरे मुल्क में अपनी काबिलीयत साबित करनी होगी।
लोकसभा इंतेखाबात से पहले मोदी के सामने पांच रियासतों के विधानसभा इंतेखाबात भी हैं। मिजोरम में तो बीजेपी पहले से कमजोर है, लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में इक्तेदार में लौटने और राजस्थान व दिल्ली को कांग्रेस से छीनने की कोशिश में है। इन रियासतों के चुनाव नतीजे भी मोदी के लिए इम्तेहान से कम नहीं होंगे।
अगर ये चुनाव नतीजे बीजेपी के दोस्ताने में नहीं आए तो आडवाणी खेमा उनकी मकबूलीयत का गुब्बारे की हवा भी निकालने में पीछे नहीं रहेगा। मोदी के सामने अंदुरूनी इख्तेलाफ से जूझ रही पार्टी को लोकसभा इंतेखाबात के लिए तैयार करना भी बड़ी चुनौती है।
पार्टी के सीनीयर लीडर लालकृष्ण आडवाणी के खुले तौर पर मोदी की मुखालिफत में आ जाने से माना जा रहा है कि यह खेमा आगे भी उनकी राह में कांटे बिछाता रहेगा।
———–बशुक्रिया: अमर उजाला