नरेंद्र मोदी ने मुस्लमानों के क़ातिलों का मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ किया: श्री कुमार

अहमदाबाद । 22 । सितंबर (एजैंसीज़) आई पी ऐस गुजरात कैडर से ताल्लुक़ रखने वाले मुख़ालिफ़ नरेंद्र मोदी हुकूमत के पुलिस ओहदेदारों में से एक ओहदेदार रिटायर्ड ऐडीशनल डायरैक्टर जनरल आफ़ पुलिस आर वे श्री कुमार ने अपने हलफनामा में ये इन्किशाफ़ किया कि चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी और उन की हुकूमत ने 2002 में मुस्लमानों के क़ातिलों का तहफ़्फ़ुज़ करने के लिए कोई कसर बाक़ी नहीं रखी। मुस्लमानों के क़ातिलों को मुकम्मल सरकारी सरपरस्ती में पनाह दी गई थी। अपने ताज़ा हलफनामा में श्री कुमार ने कहा कि रियास्ती एनटलीजनस एजैंसी के खु़फ़ीया ख़िदमात फंड्स को मुस्लमानों के क़ातिलों के तहफ़्फ़ुज़ के लिए इस्तिमाल किया गया। 2002 के क़तल-ए-आम में हुकूमत के रोल को चैलेंज करने वाले साबिक़ पुलिस ओहदेदार ने ये भी कहा कि हुकूमत को अदालत के कटहरे में खड़ा करने की कोशिश करने वाले कारकुनों को नाकाम बनाने केलिए भी ये फ़ंड का इस्तिमाल किया गया। श्री कुमार ने बताया कि 10 अप्रैल 2004 -को नरेंद्र मोदी ने अपने दफ़्तर में इजलास तलब क्या, में भी संजीव भट्ट के हमराह इजलास में शरीक था। चीफ़ मिनिस्टर ने मुझ से कहा कि वो इस पराजकट के लिए संजीव भट्ट को 10 लाख रुपय दें। ज़राए के मुताबिक़ हलफनामा में कहा गया है कि खु़फ़ीया सरवेस के अकाॶनट में इस वक़्त सिर्फ़ 8000 रुपय थे लेकिन चीफ़ मिनिस्टर की हिदायत पर उस वक़्त के चीफ़ सैक्रेटरी जी सुबह राव ने एक बड़ी रक़म मुंतक़िल करदी ताकि भट्ट इस रक़म की मदद से मुस्लमानों के क़ातिलों का क़ानूनी और सरकारी तहफ़्फ़ुज़ करसकें। अपनी रिहायश गाह में एक सोफा पर बैठ कर 65 साला श्री कुमार ने कहा कि ये मेरी ज़िम्मेदारी और डयूटी नहीं थी कि में एक मक़सद के लिए फंड्स को दूसरे काम के लिए अलॉट करूं लेकिन हमारे पास इस के सिवा-ए-चारा नहीं था । संजीव भट्ट ने इन्किशाफ़ किया कि इस फ़ंड को मलिका सारा बाई की जानिब से दाख़िल करदा दरख़ास्त को मुस्तर्द करने के लिए इस्तिमाल किया गया (मलिका सारा बाई ने भी हाल ही में इल्ज़ाम आइद किया था कि नरेंद्र मोदी ने उन के केस को कमज़ोर करने केलिए उन के वकीलों को दस लाख रुपय की रिश्वत दी थी) । चीफ़ मिनिस्टर ने आई पी ऐस ओहदेदार को हिदायत दी थी कि मलिका सारा बाई की दरख़ास्त को रोकने केलिए कुछ ना कुछ किया जाय वर्ना इस दरख़ास्त से उन के वक़ार को धक्का पहुंचेगा और हुकूमत पर आंच आएगी। अपने हलफनामा में श्री कुमार ने इल्ज़ाम आइद किया कि 12 अप्रैल 2002 -को उन के दफ़्तर को दस लाख रुपय वसूल हुए और इसी रक़म को भट्ट के पास भेज दिया गया। चूँकि ये तमाम कार्रवाई ज़बानी थी, इस लिए उसे मैंने अपनी शख़्सी डायरी में तहरीर नहीं किया। नानावती कमीशन के सामने मैंने डायरी की कापी पेश की है। श्री कुमार ने कहा कि चीफ़ मिनिस्टर और उन के दफ़्तर ने तहक़ीक़ात के अमल में मुदाख़िलत करते हुए कई मर्तबा तहक़ीक़ात का रुख मोड़ने की कोशिश की और तहक़ीक़ाती कार्रवाई को कमज़ोर बनादिया। इस वक़्त के ऐडीशनल डायरैक्टर जनरल आफ़ पुलिस (स्टेट अनटलीजनस ब्यूरो) ने इन दिनों को याद करते हुए उन्हें इस केस की निगरानी का हुक्म दिया गया था। चीफ़ मिनिस्टर के दफ़्तर से उन्हें कई मर्तबा ज़बानी हिदायतें वसूल हुईं। मैंने अपने जूनीयर ओ पी माथुर से इस सिलसिला में कई मर्तबा बातचीत की और चीफ़ मिनिस्टर की ज़बानी हिदायत पर ग़ौर-ओ-ख़ौज़ किया। उन्हों ने भी तमाम हिदायत को एक रजिस्टर में लिखने और इस का रिकार्ड बनाने की तजवीज़ से इत्तिफ़ाक़ किया था। उन्हों ने ना सिर्फ मेरे लिए रजिस्टर ख़रीदा था बल्कि अपनी दस्तख़त के साथ उसे अपनी अथॉरीटी के तहत मुस्तनद बनाया था। इस रजिस्टर की कापी मैंने ऐस आई टी के इलावा नानावती कमीशन को भी पेश की ही। मैं चीफ़ मिनिस्टर के दफ़्तर को मतला किया था कि हनदोॶं के ताल्लुक़ से जिन्हों ने सैंकड़ों मुस्लमानों का क़तल किया है, इस्तिग़ासा की कार्रवाई और तहक़ीक़ाती एजैंसीयों का अमल सुस्त और ग़ैर कारकरद है। इस पर मुझे दो टोक जवाब दिया गया कि ये काम तहक़ीक़ाती ओहदेदारों का है, असल क़ातिलों को गिरफ़्तार करने में वो नाकाम रहे जिन्हों ने मुस्लिम तबक़ा के बेगुनाह अफ़राद का क़तल किया था। उन्हों ने कहा कि मुस्लमानों को क़तल करने वाले चंद अफ़राद गिरफ़्तार भी करलिए गए लेकिन बादअज़ां उन्हें रियासत में घूमने की खुली आज़ादी दी गई। ख़ुसूसी वकील सरकार ने इस पर कोई एतराज़ नहीं किया और ना ही अदालतों में दरख़ास्त दाख़िल की। नरेंद्र मोदी हुकूमत की सरपरस्ती से ही मुस्लमानों के क़ातिल खुले आम फिर रहे हैं। इबतदा-में मुझ से कई ओहदेदारों ने नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ क़दम उठाने पर धमकी दी और संगीन नताइज से ख़बरदार किया था लेकिन मैं पीछे नहीं हटा। मोदी के काले करतूतों को आशकार करने का अह्द करलिया है और अदालत में हलफ़नामा दाख़िल किया है। जो उम्मीद है कि एक दिन इंसाफ़ ज़रूर मिलेगा