गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 नरोडा गाम फ़सादाद केस के 4 मुल्ज़िमीन की तरफ़ से दायर करदा एक दरख़ास्त पर जिस में 82 मुस्लिम गवाहों को भी मुल्ज़िम बनाने की अपील की गई है, आज ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम (एस आई टी) को एक नोटिस जारी की है।
जस्टिस एस जी शाह की वाहिद रुकनी बंच ने रियास्ती हुकूमत को नोटिस दी है और मुक़द्दमा की आइन्दा समाअत 13 सितंबर मुक़र्रर की गई है। 79 मुल्ज़िमीन में शामिल अशोक पटेल और तीन दूसरों ने अपने वकील हार्दिक पटेल के ज़रिया दरख़ास्त दायर करते हुए 82 मुस्लिम गवाहों को भी इस मुक़द्दमा में मुल्ज़िम बनाने की अपील की है और इल्ज़ाम आइद किया कि वो भी जराइम में शामिल थे।
नानू नया मलिक , मदीना पठान, मुहम्मद हनीफ़ क़ुरैशी, बिसमिल्लाह ख़ान पठान और ग़नी भाई मंसूरी जैसे 82 गवाहों के बयानात का हवाला देते हुए दरख़ास्त गुज़ारों ने दावा किया है कि उन्होंने अपने क़लमबंद शूदा बयानात में संगबारी, तेजाब फेंकने जैसे वाक़ियात में मुलव्विस होने का एतराफ़ किया था।
दरख़ास्त गुज़ारों ने ये बचाव भी किया है कि गवाहों के एतराफ़-ए-जुर्म के इलावा दीगर कई गोवाह जिन में पुलिस आफ़िसरान भी शामिल हैं, जरह के लिए तलब किए जाए। दरख़ास्त में उन्होंने नामज़द जज ज्योत्सना याग्निक के एक हुक्म को भी चैलेंज किया है जिन्होंने इसे पहले बिशमोल साबिक़ वज़ीर माया कोडनानी दीगर मुल्ज़िमीन की दरख़ास्त को मुस्तर्द कर दिया था।