एक ख़ुसूसी अदालत(special court) ने 2002 के नरोडा पाटिया क़त्ल-ए-आम केस में ज़मानत के बाद फ़रार हो जाने वाले एक मुजरिम को 31 साल कैद बा मुशक़क़्त की सज़ा सुनाई है ।
इस मफ़रूर ( भागे हुए) मुजरिम को दुबारा गिरफ़्तार करते हुए अदालत में पेश किया गया था । मुजरिम सुरेश उर्फ़ शहज़ाद नेतालकर (Suresh Netalkar alias Shehzad) को नरोडा पाटिया क़त्ल-ए-आम केस का असल साज़िशी क़रार देते हुए ख़ुसूसी जज ज्योत्सना याग्निक ने उसे 21 साल कैद बामुशक्कत की सज़ा सुनाई है ।
इससे क़बल उसे आई पी सी के दफ़ा 326 के तहत दस बरस की सज़ा काटनी होगी । 29 अगस्त 2012 को सुनाए गए फैसले में नेता लकर को क़त्ल साज़िश और ताज़ीरात के हिंद के दीगर ( अन्य) दफ़ाअत ( Act) के तहत मुजरिम क़रार दिया गया था । इस के साथ जुमला 32 अफ़राद को भी मुजरिम क़रार दिया गया था जिन में बी जे पी रुकन ( सदस्य) असेंबली और साबिक़ ( पूर्व) वज़ीर ( मंत्री) माया कोडनानी भी शामिल थीं।
दीगर सात को सज़ाए उम्र कैद सुनाई गई थी । एक और मुजरिम बाबू बजरंगी को इसकी मौत तक जेल में रखने के अहकाम (आदेश ) जारी किए गए थे । नेता लकर ने ज़मानत मिलने के बाद फ़रार इख़तियार की थी उसे मफ़रूर ( भागा हुआ) क़रार दे दिया गया था । उस की सज़ा की मुद्दत का तीन नहीं हुआ था ।
उसे गिरफ़्तार करके अदालत में पेश करने के बाद अदालत ने उसे 31 साल कैद की सज़ा सुनाई गई । उस की गिरफ़्तारी के लिए ख़ुसूसी अदालत की जज की जानिब से सुप्रीम कोर्ट की तक़र्रुर करदा ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम (Investigation team) को एक अलैहदा टीम तशकील देने ( बनाने) की हिदायत दी गई थी ।
इस के बाद महाराष्ट्रा के छः शहरों में इसकी तलाश का आग़ाज़ ( शुरूआत) कर दिया गया था । इसके मोबाईल फ़ोन की मदद से इस के ठिकानों का पता चल पाया था । उसे कल महाराष्ट्रा में निन्द्र बार के मुक़ाम पर गिरफ़्तार किया गया था और आज अदालत में पेश किया गया ।
अदालत की जानिब से इस मुजरिम की गिरफ़्तारी में ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम की कोशिशों की सताइश की गई । अदालत ने इसके लिए एक वकील भी मुक़र्रर किया है ताकि वो ज़रूरत पर उस की मदद हासिल कर सके ।