नर्सरी के दाखिले में स्कूलों की ही चलेगी

नई दिल्ली, 20 फरवरी: दिल्ली हाईकोर्ट ने वाजेह कर दिया है कि तालीम के हुकूक संबंधी कानून (आरटीई) के दायरे में नर्सरी दाखिला नहीं है। इसके दायरे में सिर्फ 6 से 14 साल के बच्चे ही आते हैं।

हालांकि अदालत ने हुकूमत को आरटीई कानून में तरमीम करके नर्सरी दाखिलों को भी दायरे में लाने पर गौर करने का सुझाव दिया है। अदालत ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो बच्चों को मुफ्त व जरूरी तालीम के असल मकसद का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा। तालीमी इदारो को टीचिंग दुकान बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

चीफ जस्टिस डी. मुरुगेसन व न्यायमूर्ति वीके जैन की बेंच ने 33 पेज के फैसले में मरकज़ व दिल्ली हुकूमत के उस तर्क को कुबूल कर लिया कि आरटीई कानून के दायरे में नर्सरी के दाखिले नहीं आते। आरटीई की दफा 35 के मुताबिक, जनरल कोटे की 75 % सीटों के दाखिलों पर यह कानून लागू नहीं होगा यानी अब निजी स्कूल को अपने Directions – instructions के तहत दाखिले फराहम करने की छूट मिल गई है।

वहीं, बेंच ने कहा कि इक्तेसादी तौर पर Backward classes (पसमांदा तबके ) के लिए आरक्षित 25 फीसद सीटों के दाखिलों पर कानून लागू माना जाएगा। आरटीई की तहत 2 (सी) में बच्चों की उम्र की वजाहत की गई है। इसके तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त व जरूरी तालीम को बुनियादी हुकूक बताया गया है, लेकिन इसमें 6 साल से कम उम्र के बच्चे का हवाला नहीं है।

बेंच ने यह फैसला सोशल ज्युरिस्ट नामी स्वयं सेवी संगठन की दरखास्त का निपटारा करते हुए दिया। दरखास्तगुज़ार ने निजी स्कूलों को दाखिलों के लिए खुद Directions – instructions तय करने की छूट से मुताल्लिक जारी सरकारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी।