नवजात का शव थैले में रख अस्पताल का बिल चुकाने के लिए भीख माँगने लगा आदिवासी

जबलपुर: मृत नवजात बच्ची को थैले में रखकर उसका पिता बैगा आदिवासी अस्पताल का बिल चुकाने और अपने दिल के टुकड़े को दफ़नाने के लिए अस्पताल परिसर में ही भीख मांग रहा था. बैगा की गर्भवती पत्नी को जननी एक्सप्रेस ने सरकारी अस्पताल में भर्ती न करके गोलबाजार स्थित एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करवा दिया.

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नईदुनिया के अनुसार,उमरिया के मंझवानी निवासी बैगा कृष्णपान की गर्भवती पत्नी रामसखी को उमरिया अस्पताल से जबलपुर रैफर किया गया. जननी एक्सप्रेस उसे सरकारी अस्पताल में न ले जाकर गोलबाजार स्थित नर्सिंग होम लेकर गई और वहां भर्ती करवा दिया.शुक्रवार को रामसखी ने बच्ची को जन्म दिया, उसकी हालत गंभीर होने से उसे नर्सिंग होम से मेडिकल रैफर कर दिया. लेकिन रास्ते में ही बच्ची ने दमक तोड़ दिया.
बैगा कृष्णपान ने नवजात को थैली में रखा और उसके नाम पर नर्सिंग होम परिसर के बाहर ही भीख मांगने लगा. जब लोगों ने इसका कारण जाना चाहा तो कृष्णपाल ने कहा कि उसके पास मृत बच्ची को दफनाने और अस्पताल का बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं है.जिस से अस्पताल प्रशासन जांच के घेरे में आ गया.

जिला प्रशासन तक खबर पहुंची तो कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी ने तुरंत एसडीएम कोतवाली को मौके पर पहुंचने के आदेश दिए और रिपोर्ट तैयार करने को कहा.
आप को बता दें कि बैगा आदिवासियों को राष्ट्रीय मानव का दर्जा हासिल है. केंद्र सरकार ने इसे विशेष संरक्षित जनजाति में माना है.

अब प्रश्न यह है कि जननी एक्सप्रेस सरकारी अस्पताल में लेकर क्यों नहीं गई? नियमानुसार वे प्राइवेट हॉस्पिटल में नहीं ले जा सकते. जननी एक्सप्रेस विशेष रूप से सुधा नर्सिंग होम में ही लेकर क्यों आई? सुधा नर्सिंग होम में अस्पताल प्रशासन ने कहीं बिल भुगतान के लिए प्रसूता को बंधक तो नहीं बनाया? बैगा आदिवासी के साथ किसी तरह की बदसलूकी तो नहीं हुई? उसे भीख मांगने की जरूरत क्यों पड़ी?

गरीब नवाज कमेटी ने की सहायता
गरीब नवाज कमेटी ने मृत बच्ची को दफनाया. कमेटी के सदस्य इनायत अली, आविद बाबा, रियाज अली, सुमन गोंटिया, छाया ठाकुर,और ज्योति ठाकुर ने मृतक बच्ची को एम्बुलेंस में रानीताल श्मशानघाट तक पहुंचाया जहां उसके पिता ने उसे दफनाया.
ये कहना है बैगा आदिवासी का
जननी एक्सप्रेस ने खुद ही इस अस्पताल में ला कर पत्नी को भर्ती कर दिया. बच्ची की मौत होने के बाद दफनाने और अस्पताल को देने का भी पैसा नहीं था.

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जो आरोप प्रसूता के पति ने लगाए हैं वे निराधार हैं, उससे किसी तरह का पैसा नहीं माँगा गया.
गर्भस्थ शिशु पेट में ही फंस गया था, उसकी स्थिति गंभीर थी. डिलेवरी के बाद उसे मेडिकल रैफर किया गया था.

कोतवाली एसडीएम अंकुर मिश्रा ने कहा कि जननी एक्सप्रेस ने प्राइवेट नर्सिंग होम में प्रसूता को भर्ती क्यों किया, इसके बारे में जांच की जाएगी. क्या इस नर्सिंग होम में नियमित तौर पर इस तरह होता रहा है इस बारे में भी जांच की जाएगी.