आला अदालत के बैंच ने जुमा को दरख़ास्त की लग भग एक घंटे तक समाअत के बाद अपने मुख़्तसर फ़ैसले में उसे नाक़ाबिल समाअत क़रार देते हुए ख़ारिज कर दिया।
पाकिस्तान की एक आला अदालत ने वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ को नाअहल क़रार देने से मुताल्लिक़ 24 साल पुरानी दरख़ास्त मुस्तर्द कर दी है।
1991 में वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ की नाअहली के लिए एक वकील इक़बाल जाफरी ने दरख़ास्त दायर की थी जिस में नवाज़ शरीफ़ पर गै़रक़ानूनी असासे बनाने का इल्ज़ाम लगाते हुए इस्तिदा की गई थी कि उन के इंतिख़ाबात लड़ने पर ताहयात पाबंदी आइद की जाये।
रवां माह ही लाहौर हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस ने इस दरख़ास्त की समाअत के लिए जस्टिस फ़र्ख़ इर्फ़ान की सरबराही में पाँच रुकनी बैंच तशकील दिया था। आला अदालत के बैंच ने जुमा को दरख़ास्त की लग भग एक घंटे तक समाअत के बाद अपने मुख़्तसर फ़ैसले में उसे नाक़ाबिल समाअत क़रार देते हुए ख़ारिज कर दिया।
दरख़ास्त गुज़ार के वकील की तरफ़ से बैंच में शामिल दो जज साहिबान को तबदील करने की भी दरख़ास्त की गई थी लेकिन इक़बाल जाफरी ने इन एतराज़ात को भी मुस्तर्द कर दिया।