पंजाब: कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने नशा तस्करों के खिलाफ़ सजा को लेकर लिया बड़ा फैसला!

चंडीगढ़ के पंजाब सिविल सचिवालय में पंजाब कैबिनेट की अहम बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। यह बैठक मुख्य तौर से पंजाब में बढ़ रहे नशे के मुद्दे को लेकर रखी गई है।

पंजाब में पिछले कुछ वर्षों से क्राइम का ग्राफ भी ऊपर ही रहा है, जिसके पीछे भी मुख्य नशे ही हैं। अगर पंजाब में रहने वाले नौजवानों की सर्वे रिपोर्ट देखें तो हाई प्रोफाइल नशा करने वाले औसतन 1,400 रुपए का एक नशा कर लेते हैं।

वहीं लोअर क्लास में नशा करने के आदी लोग औसतन 340 रुपए रोजाना का नशा करते हैं जबकि मैडीकल नशों की भी लोग औसतन 200 से ऊपर रोज नशों की पूर्ति के लिए ये लोग क्राइम की दुनिया में कदम रखते हैं, जिसके बाद उक्त बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देते हैं।

खाली पड़ी सरकारी बिल्डिंगें बनीं नशेडिय़ों के लिए मददगार
गौरतलब है कि जिले के बहुत सारे सरकारी क्वार्टर, ऐतिहासिक बिल्डिंगें व अन्य कई स्थान खाली पड़े हैं जहां नौजवान नशे की पूर्ति करने के लिए इनका प्रयोग कर रहे हैं।

अधिकतर नशा पूरा करने के लिए हो रही हैं लूट की वारदातें
लूट की वारदातों में अधिकतर नशा पूर्ति के लिए जिनमें लुटेरे नशा खरीदने के लिए भोले-भाले लोगों को अपना निशाना बनाते हैं व थोड़ी-सी कीमत पर लूट का माल बेचकर नशा खरीद रहे हैं।

ये खुलासे कई बार पुलिस के सामने हो चुके हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि पुलिस इसको गंभीरता से न लेकर गिरफ्तार लुटेरे को ज्यूडीशियल रिमांड पर भेज देती है जबकि लुटेरों के साथ लूट के माल का सौदा करने वाले आज भी बाहर घूमते हैं।

बीमार व्यक्तियों को जिंदगी देने के लिए बनी अंग्रेजी दवाइयों का प्रयोग आज का नौजवान गलत रास्ते पर जाकर नशे की पूॢत करने के लिए कर रहा है। सरकार या ड्रग विभाग जितने मर्जी दावे नशों को रोकने के करते रहें लेकिन यह नामुराद नशों की दलदल खत्म होनी असंभव हो चुकी है।

ड्रग विभाग शहरों, कस्बों आदि की चैकिंग तो करता है लेकिन दूर-दराज व ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग के कर्मचारी पहुंच नहीं करते व इन क्षेत्रों में दवाइयां बेचने वाले लालची किस्म के दुकानदार नौजवानों को नुक्सानदायक दवाइयां देकर मोटी कमाई कर रहे हैं।

हैरानी की बात है कि बिना डाक्टर की पर्ची से ऐसी दवाइयां देने वाले दवाई विक्रेताओं व ड्रग विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता। दिन-प्रतिदिन मैडीकल नशों की बढ़ रही लत ने गांवों के लोगों को गहरी चिंता में डाल दिया है।