नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) कुछ हटकर फिल्में करने के लिए पहचाने जाते हैं, और वे अपने दौर के दमदार अभिनेताओं में से हैं. नसीरूद्दीन शाह ने आर्ट फिल्मों से लेकर आज के दौर की धमाकेदार फिल्मों में काम किया है और अपने अभिनय की छाप छोड़ी है. नसीरूद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) का मानना है कि सिनेमा किसी भी वक्त के ब्यौरे की तरह होता है और वह नहीं चाहते कि दर्शक जब पीछे मुड़कर देखें तो 2018 को केवल एक ही किस्म के सिनेमा के दौर की तरह देखे. नसीरूद्दीन शाह ‘सलमान खान की फिल्में’विषय पर बात कर रहे थे. अभिनेता ने कहा कि सिनेमा आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए होता है और वह समाज के लिए प्रासंगिक अधिकाधिक फिल्में करना अपनी जिम्मेदारी मानते हैं.
नसीरूद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने कहा, “मेरा मानना है कि सिनेमा समाज को नहीं बदल सकता और न ही कोई क्रांति ला सकता है. सिनेमा शिक्षा का माध्यम है या नहीं इसे लेकर भी मैं पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकता. डॉक्यूमेंटरी शिक्षाप्रद हो सकती है लेकिन फीचर फिल्में यह काम नहीं कर सकतीं. लोग उन्हें देखकर भूल जाते हैं. गंभीर प्रकार की फिल्में ही अपने दौर के ब्यौरे के रूप में काम कर सकती हैं.” शाह ने कहा कि यही वजह है कि उन्होंने ‘अ वेडनसडे’ और उनकी हाल की लघु फिल्म ‘रोगन जोश’ में काम किया.
शाह ने कहा, “ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनने को मैं अपनी जिम्मेदारी मानता हूं. मेरे सभी गंभीर काम उस दौर का प्रतिनिधित्व करते हैं. सिनेमा हमेशा रहेगा. इन फिल्मों को 200 साल बाद भी देखा जा सकता है. लोगों को पता होना चाहिए कि 2018 में भारत किस तरह का था. ऐसा न हो कि 200 साल बाद उन्हें केवल सलमान खान की फिल्में ही देखने को मिलें. भारत उस तरह का नहीं है. सिनेमा भावी पीढ़ियों के लिए होता है.” रोगन जोश का प्रदर्शन 20 वें जियो मामी मुंबई फिल्म समारोह में हुआ.