कांग्रेस ने एक किताब की बुनियाद पर मुल्क के अव्वलीन वज़ीर-ए-आज़म जवाहरलाल नहरू के मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला सरदार पटेल को तलब करते हुए उन्हें मुकम्मल फ़िर्खापरस्त क़रार देने के एल के आडवाणी के दावे पर शकूक-ओ-शुबहात ज़ाहिर किए। आडवाणी ने एक किताब के इक़तिबासात दुहराते हुए दो आई ए ऐस ओहदेदार ऐम के के नायर की तहरीर करदा है जो 1947 बैच के हैं और हकूमत हिन्द में ख़िदमात अंजाम दे चुके हैं और समझा जाता है कि सरदार पटेल के बहुत क़रीब थे दावा किया था कि जब सरदार पटेल ने मनहरीफ़ हैदराबाद पर क़बज़ा करने के लिए फ़ौज रवाना की थी तो पण्डित नहरू ने उन्हें मुकम्मल फ़िर्क़ापरस्त क़रार दिया है।
किताब एक दौर की कहानी बददियानती के बगै़र के इक़तेबासात का हवाला देते हुए आडवाणी ने कहा था कि नहरू और पटेल के दरमियान एक काबीनी इजलास में हैदराबाद के ख़िलाफ़ पुलिस ऐक्शण के सिलसिला में सख़्त कलामी हुई थी। किताब के मवाद और मालूमात पर शकूक-ओ-शुबहात ज़ाहिर करते हुए मर्कज़ी वज़ीर नशरियात मनीष तीवारी ने टोइटरप्र तबसरे में कहा था कि आई ए ऐस ओहदेदार ने 1947 में पुलिस ऐक्शण के बाद पुलिस में भर्ती हुए थे।
उनका ये बयान ग़लत है कि वो 1946 के बैच के हैं। मनीष तीवारी ने सवाल किया कि क्या आडवाणी जी काबीनी मुबाहिस के वक़्त मौजूद थे ? एक वैब साईट का हवाला देते हुए उन्होंने मालूमात फ़राहम की कि नायर बिरादरी की मुमताज़ शख़्सियात में ऐम के के नायर शामिल नहीं थे वो 1950में आई ए ऐस ओहदेदारों की हैसियत से मुलाज़मत पर रुजू हुए थे।
जब कि हैदराबाद का पुलिस ऐक्शण 1948 में हुआ था। कांग्रेस के जनरल सैक्रेटरी शकील अहमद ने भी आडवाणी का नाम लिए बगै़र उन पर सख़्त तन्क़ीद की और कहा कि मुफ़ादात हासिले की बुनियाद पर चंद क़ाइदीन सरदार पटेल को ग़ैर सैकूलर और अपनी तरह फ़िर्क़ापरस्त क़रार देने की कोशिश कर रहे हैं ये कार्रवाई इंतिहाई मज़म्मत के काबिल है।